07 December 2020

पर्यावरण अतिमहत्वपूर्ण तथ्य (Part-1)

 

1)   Environment शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच भाषा के Environner से हुई है जिसका अर्थ है – “घिरा हुआ

2)   पारिस्थितिकी (Ecology) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग अर्नेस्ट हैकेल ने 1869 में किया ! पारिस्थितिकी वह विज्ञान है जिसके अंतर्गत समस्त जीवों तथा भौतिक पर्यावरण के मध्य उनके अंतर संबंधों का अध्ययन किया जाता है !

3)   पारिस्थितिकी तंत्र ( Eco – System ) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ए. जी. टांसले द्वारा 1935 में किया गया ! परिस्थितिकी तंत्र भौतिक तंत्रों का एक विशेष प्रकार होता है इसकी रचना जैविक तथा अजैविक संगठनों से होती है ! यह खुला तंत्र होता है !

4)   सूक्ष्म जीवों को वियोजक ( Decomposers ) भी कहा जाता है , यह मृत पौधों और जंतुओं के जैविक पदार्थ को सड़ा गला कर मृदा के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है ! सूक्ष्मजीवों के अंतर्गत बैक्टीरिया तथा कवक को शामिल किया जाता है !

5)   सूर्य से प्राप्त ऊर्जा पृथ्वी पर विद्युत-चुंबकीय तरंगों के रुप में प्राप्त होती है !

6)   जल पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एकमात्र अकार्बनिक तरल पदार्थ है !

7)   पृथ्वी पर जल की कुल मात्रा समान रहती है , जबकि यह एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होता रहता है ! यह प्रक्रिया ही जल चक्र कहलाती है !

8)   मानव पर्यावरण संबंध के नियतिवादी ( Determinism ) उपागम के अनुसार मानव को पर्यावरण का एक तत्व माना जाता है , इसके अनुसार मानव प्रकृति के हाथ का खिलौना है , इसे पर्यावरण वादी उपागम भी कहते हैं !

9)   मानव पर्यावरण संबंध के संभववादी  ( Possiblism ) उपागम के अनुसार मानव को पर्यावरण का एक सक्रिय तत्व मानते हैं , इसका विचार है कि मनुष्य प्रकृति पर विजय प्राप्त कर चुका है , तथा प्रकृति में मनचाहा परिवर्तन करने में समर्थ है ! ये प्राकृतिक संसाधनों के अतिदोहन पर विश्वास करते है !

10)                      मानव पर्यावरण संबंध के नव नियतिवादी ( Neo – Determinism ) उपागम के अनुसार प्रकृति का अत्यधिक दोहन विनाशकारी बताया गया है ! इसके अनुसार मानव को प्रकृति के अनुसार अपनी विकास की नीतियां बनाना चाहिए ! सतत विकास ( Sustainable Development ) की अवधारणा का विचार इसी उपागम से लिया गया है !

11)                      सतत विकास ( Sustainable Development ) का अर्थ है, वर्तमान की जरूरतों को पूरा करते हुऐ भावी पीढ़ियों के लिए संसाधनों को सुरक्षित रखना !

12)                      उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन विषुवत रेखा के निकट  उत्तरी व दक्षिणी गोलार्ध मैं पाए जाते हैं , जहां साल भर तापमान और आर्द्रता काफी उच्च रहती है , तथा औसत वार्षिक वर्षा 200 सेंटीमीटर से अधिक होती है ! यहां विश्व की सर्वाधिक जैव विविधता पाई जाती है ! इसे डोलड्रम की पेटी भी कहा जाता है !

13)                      टैगा वन आँकर्टिक वृत्त ( 66.5 N ) के चारों और यूरोप , एशिया व उत्तरी अमेरिका महाद्वीप में पाए जाते हैं ! इन्हें शंकुधारी वन भी कहते हैं ! इनका विस्तार सभी वन क्षेत्रों में सर्वाधिक है , जबकि जैव विविधता सबसे कम ! टैगा वन में सबसे अधिक मुलायम लकड़ी प्राप्त होती है ! चीड़ , देवदार , फर , स्प्रूस आदि मुलायम लकड़ियों बाले वृक्ष है जो इन बनों में पाऐ जाते हैं !

14)                      विषुवत वृत्त से ध्रुवों की ओर बढ़ने पर जैव विविधता में कमी आती है !

15)                      ऊंचाइयों की अपेक्षा घाटियों में जैव विविधता अधिक होती है !

16)                      ताप अधिक होने पर जैव विविधता अधिक होती है !

17)                      क्षारीय मृदा में उगने वाले पौधों को हेलो फाइट्स कहा जाता है !

18)                      लाल रंग प्रकाश संश्लेषण के लिए सबसे उपयुक्त होता है !

19)                      लाइकेन छोटी वनस्पतियों का समूह है , जो कवक व शैवाल द्वारा निर्मित होता है !

20)                      दक्षिणी पश्चिमी रूस के घास के मैदानों को स्टेपी कहा जाता है !

21)                      दक्षिण अफ्रीका के घास के मैदानों को वेल्ड कहा जाता है !

22)                      ब्राजील के घास के मैदानों को कैंपोस कहा जाता है !

23)                      संयुक्त राज्य अमेरिका के घास के मैदानों को प्रेयरी कहा जाता है !

24)                      दक्षिण अमेरिका के घास के मैदानों को पंपास कहा जाता है !

25)                      ऑस्ट्रेलिया के घास के मैदानों को डाउंस कहा जाता है !

26)                      न्यूजीलैंड के घास के मैदानों को कैंटरबरी कहा जाता है !

27)                      पौधे क्लोरोफिल की उपस्थिति में सूर्य के प्रकाश द्वारा जल व ऑक्सीजन को ग्लूकोस में बदलते हैं , सूर्य के प्रकाश को रासायनिक ऊर्जा के रूप में संचित कर अन्य जीवो के लिए भोजन उत्पादित करने के गुण के कारण ही हरे पौधों को प्राथमिक उत्पादक कहा जाता है !

28)                      जो जीव अपने भोजन के लिए केवल प्राथमिक उत्पादकों पर निर्भर होते है , उन्हें प्राथमिक उपभोक्ता या शाकाहारी कहा जाता है ! उदाहरण चूहा , खरगोश , गाय , हिरण , बकरी आदि ! इन्हें द्वितीयक उत्पादक भी कहा जाता है !

29)                      बे जीब जो अपने भोजन के लिए प्राथमिक उपभोक्ताओं पर निर्भर होते हैं , उन्हें द्वितीयक उपभोक्ता या मांसाहारी कहा जाता है !

30)                      बे जीब जो द्वितीयक उपभोक्ताओं को अपना भोजन बनाते हैं , उन्हें तृतीयक श्रेणी के उपभोक्ता कहते हैं

31)                      ऐसे जीव जो सभी श्रेणी के मांसाहारियों का शिकार करते हैं , उच्च स्तरीय उपभोक्ता कहलाते हैं ! इनकी विशेषता यह होती है कि कोई अन्य जीव इन्हे मारकर नहीं खा सकता !

32)                      ऐसे जीव जो भोजन के रूप में पादपों , शाकाहारी व मांसाहारियों पर निर्भर होते हैं , उन्हें सर्वभक्षी कहा जाता है ! मनुष्य इसका उदाहरण है !

33)                      परजीवी ( Parasites ) वे होते हैं जो अपने भोजन तथा निवास दोनों के लिए ही दूसरों पर निर्भर रहते हैं ! मानव व पशुओं में लगने वाली जूं , पशुओं की खाल पर चिपकने वाली किलनी इसके प्रमुख उदाहरण है !

34)                      प्रिडेटर्स ( Predators ) ऐसे जीव होते हैं जो केवल भोजन के लिए दूसरे जीवो पर निर्भर होते हैं !

35)                      आधार प्रजाति उस पर प्रजाति को कहा जाता है जो अन्य प्रजातियों के निर्माण व संरक्षण में आवश्यक व महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ! समुद्री प्रवाल ( मूंगा या कोरल ) इसका अच्छा उदाहरण है , कोरल , कोरल रीफ का निर्माण करती है , जो अन्य जातियों के लिए निवास व प्रजनन स्थल के रूप में काम करती है !

36)                      अंब्रेला प्रजाति एक विशाल जंतु या समुदाय होता है ! जिस एक प्रमुख प्रजाति के कारण अन्य प्रजातियों को स्वतः सुरक्षा मिल जाए उस मुख्य प्रजाति को अंब्रेला प्रजाति कहा जाता है ! जिस प्रकार बाघ को विशेष सुरक्षा देने के लिए टाइगर रिजर्व घोषित किये जाते है इससे न केवल बाघ को बल्कि उस स्थान की अन्य प्रजातियां भी सुरक्षित हो जाती है , उसी प्रकार इस रिजर्व घोषित क्षेत्र में बाघ एक अंब्रेला प्रजाति है !

37)                      की स्टोन प्रजाति उस प्रजाति को कहा जाता है जो अपने परिस्थिति तंत्र में अत्यधिक प्रभाव रखती है ! की स्टोन प्रजाति के निर्धारण में उस प्रजाति के जीवो की अधिक संख्या को नहीं , बल्कि परितंत्र में उसके कार्यों की गणना की जाती है !

38)                      संकेतक प्रजाति किसी पौधे या जंतु की ऐसी प्रजाति है , जो पर्यावरण परिवर्तन के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील होती है ! इसका अर्थ है कि जो प्रजातियां पारिस्थिति तंत्र की हानि होने का शीघ्र संकेत करती है , संकेतक प्रजातियां कहलाती है ! जैसे वायु प्रदूषण की अधिकता की जांच के लिए लाइकेन तथा जल प्रदूषण के संकेतक के रूप में मछली को संकेतक प्रजाति माना जाता है !

39)                      हरे पेड़ पौधे प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा सौर या प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा (ग्लूकोज) में परिवर्तित करते हैं !

40)                      किसी क्षेत्र में प्राथमिक उत्पादक ( हरे पेड़ पौधे ) द्वारा प्रति इकाई सतह में , प्रति इकाई समय में सकल संचित ऊर्जा की मात्रा को पारिस्थितिकी उत्पादकता ( Ecological Productivity ) कहते हैं !

41)                      प्राथमिक उत्पादक ( हरे पेड़ पौधे ) द्वारा आत्मसात की गई कुल ऊर्जा की मात्रा को सकल प्राथमिक उत्पादन ( GPP ) कहते हैं !

42)                      सकल प्राथमिक उत्पादन ( GPP ) में से श्वसन द्वारा नष्ट ऊर्जा की मात्रा को घटाने पर प्राप्त सकल ऊर्जा को शुद्ध प्राथमिक उत्पादन ( NPP ) कहते हैं !

43)                      विश्व की औसत शुद्ध प्राथमिक उत्पादकता  (NPP) 320 ग्राम प्रति वर्ग मीटर प्रति वर्ष है , जबकि उष्णकटिबंधीय वर्षा वन तथा दलदली क्षेत्र व एस्चुअरी में विश्व की सर्वाधिक शुद्ध प्राथमिक उत्पादकता (NPP) 2000 ग्राम प्रति वर्ग मीटर प्रति वर्ष पाई जाती है !

44)                      किसी भी परिस्थिति तंत्र में प्रति इकाई समय एवं प्रति इकाई क्षेत्र में जीवित पदार्थों के सकल शुष्क भार को बायोमास ( Biomass ) कहा जाता है !

45)                      इकोटोन दो भिन्न-भिन्न बायोम के बीच का क्षेत्र है ! इन जगहों में दो अलग-अलग समुदाय की प्रजातियों का मेल होता है ! ऐसे स्थानों पर रहने वाली प्रजातियां जलवायु से अनुकूल करने में अधिक सक्षम होती है !

46)                      पृथ्वी तक पहुंचने वाली सौर ऊर्जा का करीब 1% भाग कि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में प्रयुक्त होता है

47)                      ऊर्जा स्थानांतरण के 10 प्रतिशत के नियम के अनुसार एक पोषण स्तर से दूसरे पोषण स्तर पर मात्र 10% ऊर्जा ही स्थानांतरित होती है , इस नियम को 1942 में लिंडेमान ने प्रतिपादित किया था !

48)                      उष्मागतिकी के प्रथम नियम को ऊर्जा संरक्षण का नियम भी कहते हैं इसके अनुसार ना तो ऊर्जा का सृजन होता है और ना ही विनाश , ऊर्जा का सिर्फ एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तन होता है !

49)                      उष्मागतिकी का द्वितीय नियम पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा के प्रवाहित होने की दिशा से संबंधित है , इसके अनुसार ऊष्मा सदैव अधिक ताप से निम्न ताप की ओर प्रवाहित होती है !

50)                      पारिस्थितिकी पिरामिड की अवधारणा का प्रतिपादन चार्ल्स एटन 1927 में किया था !

51)                      खेती सबसे प्राचीन पद्धति झूम खेती है !

52)                      3600 मीटर से अधिक ऊंचाई पर पाई जाने वाली वनस्पति को अल्पाइन बायोम की श्रेणी में रखा जाता है !

53)                      वायुमंडल में सर्वाधिक नाइट्रोजन गैस (78%) पाई है !

54)                      वायुमंडल में आर्गन गैस की मात्रा 0.93% है !

55)                      वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा 0.03% है !

56)                      वनस्पतियों के सड़ने से मीथेन गैस निकलती है !

57)                      पीट मृदा में सर्वाधिक कार्बनिक पदार्थ पाए जाते है !

58)                      अल्फा अल्फा एक प्रकार की घांस है !

59)                      मटियार मिट्टी (Clay Soil) की जलधारण क्षमता सभी मिट्टियों में सर्वाधिक होती है !

60)                      गहन पारिस्थितिकी ( Deep Ecology ) शब्द के जनक अर्निस नेस है !

61)                      जैविक अजैविक तत्वों का चक्र जैव भू रासायनिक चक्र ( Bio-Geochemical Cycle ) के रूप में चलता है !

62)                      ज्वालामुखी विस्फोट से फास्फोरस चक्र पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है !

63)                      सर्वाधिक लवणता मृत सागर में पाई जाती है !

64)                      ग्रेट बैरियर रीफ ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर प्रशांत महासागर में स्थित है !

65)                      मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में सर्वाधिक वन आवरण क्षेत्र है !

66)                      महासागरों की औसत लवणता 35% होती है !

67)                      बन में पेड़ों की छाल पर लगने वाले सफेद पदार्थ को लाइकेन कहा जाता है !

68)                      सर्वाधिक स्थाई पारिस्थितिक तंत्र महासागर है !

69)                      सतत् विकास लक्ष्‍य’, 2017 के सूचकांक में भारत का स्‍थान है 116वां

70)                      वर्षा की मात्रा निर्भर करती है वायुमंडल में नमी पर

71)                      जलमंडल, स्‍थलमंडल, जैवमंडल तथा जीवोम में से पृ‍थ्‍वी का सर्वाधिक बृहद पारिस्थितिक तंत्र है जैवमंडल

72)                      नेशनल ग्रीन ट्रिब्‍यूनल (एन.जी.टी.) की भारत सरकार द्वारा स्‍थापना की गई थी वर्ष 2010 में

73)                      पर्यावरण से अभिप्राय है भूमि, जल, वायु, पौधों एवं पशुओं की प्राकृतिक दुनिया जो इनके चारों ओर अस्त्‍तत्‍व में है। उन संपूर्ण दशाओं का योग जो व्‍यक्ति को एक समय बिन्‍दु पर घेरे हुए होती है। भौतिक, जैविकीय एवं सांस्‍कृतिक तत्‍वों की अंत:क्रियात्‍मक व्‍यवस्‍था जो अंत:संबंधित होती है।

74)                      पृथ्‍वी पर पाए जाने वाले भूमि, जल, वायु, पेड़-पौधों एवं जीव-जंतुओं का समूह जो हमारे चारों ओर है, सामूहिक रूप से कहलाता है पर्यावरण

75)                      पर्यावरण किसी जीव के चारों तरफ घिरे भौतिक एवं जैविक दशाएं एवं उनके साथ अंत:क्रिया को सम्मिलित करता है पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की परिभाषा के अनुसार।

76)                      पर्यावरणीय सुरक्षा से संबंध नहीं है गरीबी कम करने का

77)                      भारत में पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम पारित हुआ वर्ष 1986 में

78)                      पर्यावरण बनता है जीवीय घटकों, भू-आकृतिक घटकों, तथा अजैव घटकों से

79)                      पर्यावरण के कुछ कारक संसाधन के रूप में कार्य करते हैं तथा कुछ कारक कार्य करते हैं -नियंत्रक के रूप में Environmental Science

80)                      धारणीय विकास के उपयोग के संदर्भ में अंतर-पीढ़ीगत संवेदनशीलता का विषय है प्राकृतिक संसाधन

81)                      विकास की वह अवधारणा जिसके तहत वर्तमान की आवश्‍यकताओं के साथ-साथ भविष्‍य की आवश्‍यकताओं को भी ध्‍यान में रखाता है धारणीय विकास

82)                      वर्ष 2002 में जोहॉन्‍सबर्ग में आयोजित पृथ्‍वी सम्‍मेलन का मुख्‍य मुद्दा था सतत विकास

83)                      संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ने सतत विकास लक्ष्‍यों (Sustainable Development Goals-SDGS) का निर्धारण किया है, वे हैं कुल 17

84)                      सतत विकास लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने की प्रगति की दिशा में विभिन्‍न देशों द्वारा किए गए प्रयासो की प्रगति जानने हेतु निर्माण किया गया है सस्‍टेनेबल डेवलपमेंट इंडेक्‍स का

85)                      विश्‍व पर्यावरण दिवसमनाया जाता है 5 जून को

86)                      देश की प्राकृतिक पूंजी में सम्मिलित किए जाते हैं वन, जल तथा खनिज

87)                      वे संसाधन, जो हमें प्रकृति द्वारा प्रदत्‍त होते हैं, कहलाते हैं प्राकृतिक पूंजी अथवा प्राकृतिक संसाधन

88)                      वर्ष 1972 में आयोजित किया गया था स्‍टॉकहोम अंतरराष्‍ट्रीय शिखर सम्‍मेलन

89)                      सौर विकिरण की सबसे महत्‍वपूर्ण भूमिका है जल चक्र में

90)                      राष्‍ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी शोध संस्‍थान (NEERI) अवस्थित है नागपुर में

91)                      NEERI कार्य करता है विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन

92)                      सतत विकास के लिए आवश्‍यक है जैविक विविधता का संरक्षण, प्रदूषण का निरोध एवं नियंत्रण तथा निर्धनता को घटाना

93)                      पृथ्‍वी शिखर सम्‍मेलन का योजन किया गया था रियो में

94)                      संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ द्वारा पर्यावरा एवं सतत विकास पर पहला पृथ्‍वी शिखर सम्‍मेलन आयोजित किया गया वर्ष 1992 में रियो डी जनेरिया (ब्राजील) में

95)                      पृथ्‍वी सम्‍मेलन में 21वीं सदी के लिए पर्यावरणीय विकास हेतु कार्यक्रम निर्धारित किए गए। इन कार्यक्रमों को नाम दिया गया एजेंडा-21

96)                      रियो-20 घोषणा पत्र का शीर्षक था द फ्यूचर वी वांट

97)                      पृथ्‍वी के चारों ओर गैसों के समूह को कहते हैं वायुमंडल

98)                      वायु है, एक मिश्रण

99)                      नाइट्रोजन (78%), ऑक्‍सीजन (21%), ऑर्गन (0.93%), कार्बन डाइऑक्‍साइड (0.038%), इत्‍यादि गैसें पाई जाती हैं  वायुमंडल (Atmisphere) में

100)                नोबल गैसों में से वह गैस जो वायु में नहीं पाई जाती है रेडॉन

101)                वातावरण में सर्वाधिक प्रतिशत है नाइट्रोजन का Environmental Science

102)                यदि पृथ्‍वी पर पाई जाने वाली वनस्‍पतियां (पेड़-पौधे) समाप्‍त हो जाएं, तो वह गैस जिसकी कमी होगी ऑक्‍सीजन

103)                वह कार्य जो पेड़ पौधों का नहीं है वायु का प्रदूषण

104)                पृथ्‍वी के कार्बन चक्र में कार्बन डाईऑक्‍साइड की मात्रा को नहीं बढ़ाता है प्रकाश संश्‍लेषण

105)                अपक्षय का विचार संबंधित है एक प्राकृतिक क्रिया से जो चट्टानों को सूक्ष्‍म कणों में विभक्‍त करती है

106)                विश्‍व मौसम विाान संगठन का मुख्‍यालय अवस्थित है जेनेवा में

107)                विश्‍व मौसम विज्ञान अभिसमय (World Meteorogical Convention) लागू हुआ 23 मार्च, 1950 को

108)                यू.एन.ई.पी. का मुख्‍यालय अवस्थित है नैरोबी में

109)                संयुक्‍त राष्‍ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP-United Nations Environment Programme) की स्‍थापना हुई थी वर्ष 1972 में

110)                UNEP के वर्तमान प्रमुख हैं एरिक सोल्‍हेम

111)                EPA का पूर्ण रूप है इन्‍वायरमेंटल प्रोटेक्‍शन एजेंसी

112)                EPA (Environmental Protection Agency) संयुक्‍त राष्‍ट्र अमेरिका की संघीय एजेंसी है, जिसकी स्‍थापना की गई थी 2 दिसंबर, 1970 को

113)                E.A. से आशय है  नेशनल इन्‍वायरमेंट अथॉरिटी

114)                ग्रीन पीस इंटरनेशलन का मुख्‍यालय अवस्थित है एम्‍सटर्डम में

115)                इकोमार्कउन भारतीय उत्‍पादों को दिया जाता है, जो पर्यावरण के प्रति मैत्रीपूर्ण हों

116)                ब्‍यूरो ऑफ इंडियन स्‍टैंडर्ड्स द्वारा वर्ष 1991 से दिया जा रहा है – ‘इकोमार्कप्रमाण पत्र

117)                पर्यावरण अनुकूल उपभोक्‍ता-उत्‍पादों को चिन्हित करने के लिए सरकार ने आरंभ किया है इकोमार्क

118)                धारणीय कृषि (Sustainable Agriculture) का अर्थ है भूमि का इस प्रकार प्रयोग कि उसकी गुणवत्‍ता अक्षुण्‍ण बनी रहे

119)                भारत में टिकाऊ कृषि के लिए राष्‍ट्रीय मिशन चल रहा है वर्ष 2014-15 से

120)                भारत में हरितगृह कृषि’ (Green House Farming) प्रारंभ करने वाला राज्‍य है पंजाब

121)                नगरीकरण एवं औद्योगीकरण हानिकारक है संतुलित विकास के लिए, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी के लिए, जैव-विविधता के संरक्षण के लिए

122)                राष्‍ट्रीय हरित न्‍यायाधिकरण अधिनियम, 2010 भरतीय संविधान के जिस प्रावधान के आनुरूप्‍य अधिनियमित हुआ था/हुए थे स्‍वस्‍थ पर्यावरण के अधिकार के आनुरूप्‍य, जो अनुच्‍छेद 21 के अंतर्गत जीवन के अधिकार का अंग माना जाता है

123)                राष्‍ट्रीय हरित न्‍यायाधिकरण (National Green Tribunal) के अध्‍यक्ष हैं जस्टिस आदर्श कुमार गोयल

124)                राष्‍ट्रीय हरित न्‍यायाधिकरण की स्‍थापना राष्‍ट्रीय हरित न्‍यायाधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत की गई18 अक्‍टूबर, 2010 को

125)                हरित विकास’ (ग्रीन डेवलपमेंट) पुस्‍तक के लेखक हैं डब्‍ल्‍ूय. एम. एडम्‍स

126)                आम तौर पर समाचारों में आने वाला रियो + 20 (Rio+20) सम्‍मेलन है धारणीय विकास (सस्‍टेनेबल डेवलपमेंट) पर संयुक्‍त राष्‍ट्र सम्‍मेलन

127)                रियो + 20, धारणीय विकास पर संयुक्‍त राष्‍ट्र सम्‍मेलन का लघु नाम है। यह सम्‍मेलन जून, 2012 में सम्‍पन्‍न हुआ था रियो डी जनेरियो, ब्राजील में

128)                पृथ्‍वी सम्‍मेलन+5 आयोि‍जत हुआ था वर्ष 1997 में

129)                23-27 जून, 1997 के मध्‍य संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा ने एक विशेष बैठक का आयोजन किया (जो रियो + 5 या पृथ्‍वी सम्‍मेलन +5 के नाम से जाना जाता है) न्‍यूयॉर्क में

130)                विकास की वह अवधारणा जिसके तहत वर्तमान की आवश्‍यकताओं के साथ-साथ भविष्‍य की आवश्‍यकताओं को भी ध्‍यान में रखा जाता है धारणीय विकास (Sustainable Development)

131)                वैज्ञानिकों, अर्थविदों, सिविल सेवकों तथा व्‍यवसायियों की एक संस्‍था जो मानवता के समक्ष उपस्थित होने वाली वैश्विक चुनौतियों के समाधान हेतु सुझाव देती है क्‍लब ऑफ रोम

132)                अर्थ समिट या पृथ्‍वी शिखर सम्‍मेलन स्‍टॉकहोम सम्‍मेलन की 20वी वर्षगांठ मनाने के लिए आयोजित किया गया। इसमें सम्मिलित देशों ने धारणीय विकास के लिए एक कार्यवाही योजना स्‍वीकृत की, जिसे जाना जाता है – ‘एजेंडा 21के नाम से

133)                कई प्रतिरोपित पौधे इसलिए नहीं बढ़ते हैं, क्‍योंकि प्रतिरोपण के दौरान अधिकांश मूल रोम नष्‍ट हो जाते हैं।

134)                मूलरोम की कोशा-भित्ति मुख्‍यतया बनी होती है सेलुलोज से

135)                मूलरोम मृदा से चिपके रहते हैं पेक्टिन के कारण

136)                पर्यावरण अपकर्ष से अभिप्राय है पर्यावरणीय गुणों का पूर्ण रूप से निम्‍नीकरण, मानवीय क्रिया-कलापों से विपरीत परिवर्तन लाना, पारिस्थितिकीय विभिन्‍नता के परिणामस्‍वरूप पारिस्थ्ज्ञितिकीय असन्‍तुलन।

137)                पर्यावरण संतुलन के संरक्षण से संबंधित है वन नीति, पर्यावरण (सुरक्षा) अधिनियम, 1986, औद्योगिक नीति तथा शिक्षा नीति

138)                जैव-विविधता पर अभिसमयएवं जलवायु परिवर्तन पर संयुक्‍त राष्‍ट्र ढांचा अभिसमयके लिए वित्‍तीय क्रियाविधि के रूप में काम करता है भूमंडलीय पर्यावरण सुविधा (GEF)

139)                वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF-Global Environment Facility) की स्‍थापना की गई रियो अर्थ समिट, 1992 के दौरान

140)                UNFCCC के तहत अल्‍प विकसित देशों को अल्‍प विकसित देश निधि (Least Developed Countries Fund : LDCF) उपलब्‍ध कराता है – GEF

141)                विशिष्‍ट जलवायु परिवर्तन निधि (The Special Climate Change Fund : SCCF) की स्‍थापना की गई – CoP-7 की बैठक माराकेश से प्राप्‍त निर्देशों के आधार पर

142)                वर्तमान में GEF की कार्यकारी अधिकारी व अध्‍यक्षा हैं नाओको इशी (Naoko Ishii)

143)                पलाचीमाड़ा जो पर्यावरण की अपार क्षति के कारण चर्चा में था, अवस्थित है केरल में

144)                पर्यावरा सुरक्षा अधिनियम (EPA) को अन्‍य जिस नाम से जाना जाता है छाता विधान

145)                वर्ष 1972 में स्‍टाकहोम में आयोजित संयुक्‍त राष्‍ट्र के प्रथम मानव पर्यावरण सम्‍मेलन के निर्णयों को कार्यान्वित करने के उद्देश्‍य से भारत सरकार ने पारित किया पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986

146)                जेनेटिक इंजीनियरिंग अनुमोदन समिति (Genetic Engineering Approval Committee) का नाम बदल दिया गया है। आनुवंशिक इंजीनियरिंग अनुमोदन समितिशब्‍दों के स्‍थान पर, जहां कहीं वे आते हैं, शब्‍द रखे जाएंगे आनुवंशिक इंजीनियरिंग आकलन समिति (Genetic Engineering Appraisal Committee)

147)                अपने वार्षिक सर्वेक्षण के परिणाम के रूप में नेशनल जियोग्राफिक सोसायटी एवं अंतरराष्‍ट्रीय मतदान कंपनी ग्‍लोबस्‍कैन ने ग्रीन-डेक्‍स, 2009 स्‍कोर के तहत भारत को शीर्ष स्‍थान दिया। वह स्‍कोर है विभिन्‍न देशों में पर्यावरणीय रूप से धारणीय उपभोक्‍ता व्‍यवहार का मापक

148)                भारत में कृषि के पर्यावरण अनुकूल, दीर्घस्‍थायी विकास के लिए जो रणनीति सर्वश्रेष्‍ठ है मिश्र शस्‍यन, कार्बनिक खादें, नाइट्रोजन यौगिकीकर पौधो और कीट प्रतिराध शस्‍य किस्‍में

149)                प्राकृतिक कषि का अन्‍वेषक है मसानोबू फुफुका

150)                पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रीन आर्मीको प्रारंभ किया ऑस्‍ट्रेलिया ने

151)                10 प्रति‍शत नियम संबंधित है ऊर्जा का खाद्य के रूप में एक पोषी स्‍तर से दूसरे पोषी स्‍तर तक पहुंचने से

152)                जीव से जैव मंडल तक जैविक संगठन का सही क्रम है जनसंख्‍या –> समुदाय –> पारिस्थितिक तंत्र –> भू-दृश्‍य

153)                स्‍वपोषी (स्‍वपोषज) स्‍तर पर उत्‍पादन को कहा जाता है प्राथमिक उत्‍पादकता

154)                परपोषी (विषम पोषणज) स्‍तर के उत्‍पादन के संदर्भ में आता है द्वितीयक उत्‍पादकबता

155)                एक पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा की मात्रा एक पोषण स्‍तर से अन्‍य स्‍तर में स्‍थानांतरण के पश्‍चात घटती है

156)                कुछ कारणोंवश यदि तितलियों की जाति (स्‍पीशीज) की संख्‍या में बड़ी गिरावट होती है तो इसके जो संभावित परिणाम हो सकते हैं, वे हैं कुछ पौधों के परागण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसके कारण करों, मकडि़यों और पक्षियों की कुछ प्रजातियों की समष्टि में गिरावट हो सकती है।

157)                पारिस्थितिकी पारस्‍परिक संबंधों का अध्‍ययन है जीव और वातावरण के बीच

158)                जीव विज्ञान की एक शाखाहै जिसमें जीव समुदायों तथा उनके वातावरण के मध्‍य पार‍स्‍परिक संबंधों का अध्‍ययन करते हैं पारस्थितिकी

159)                अर्नेस्‍ट हैकल ने पारिस्थितिकी (Ecology) शब्‍द का प्रयोग किया – Oikologie के नाम से

160)                जीवधारियों के कार्बनिक और अकार्बनिक वातावरण और पारस्‍परिक संबंधों के अध्‍ययन को पारिस्थितिकी अथवा पारिस्थितिकी-विज्ञानकहते हैं, यह बताया अर्नेस्‍ट हैकल ने

161)                पारिस्थितिकी प्रकृति की संरचना एवं प्रक्रिया का अध्‍ययन है, यह बताया यूजीन ओडम ने

162)                सर्वप्रथम पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) की संकल्‍पना प्रस्‍तावित की गई वर्ष 1935 में ए.जी.टांसले द्वारा

163)                प्रकृति की एक कार्यात्‍मक इकाई (Functional Unit) के रूप में जानी जाती है पारिस्थितिकी तंत्र

164)                पारिस्थितिक तंत्र के संबंध में सही कथन हैं पारिस्थितिकी तंत्र किसी निश्चित स्‍थान-समय इकाई के समस्‍त जीवों तथा भौतिक पर्यावरण का प्रतिनिधित्‍व करता है, यह एक कार्यशील इकाई है, इसकी अपनी उत्‍पादकता होती है।

165)                पारिस्थितिक तंत्र के विषय में सही नहीं है यह एक बंद तंत्र होता है।

166)                पारितंत्र (ईकोसिस्‍टम) शब्‍द का सर्वोत्‍कृष्‍ट वर्णन है जीवों (ऑर्गनिज्‍़म्‍स) का समुदाय और साथ ही वह पर्यावरण जिसमें वे रहते हैं।

167)                किसी क्षेत्र के सभी जीवधारी तथा वातावरण में उपस्थित अजैव घटक संयुक्‍त रूयप से निर्माण करते हैं पारितंत्र (Ecosystem) का

168)                कृत्रिम पारितंत्र हैं खेत

169)                कृत्रिम पारिस्थितिक तंत्र है धान का खेत

170)                घास स्‍थल, वन तथा मरूस्‍थल उदाहरण हैं स्‍थलीय पारिस्थितिक तंत्र के

171)                झील, दियां तथा समुद्र आते हैं जलीय पारिस्थितिकीय तंत्र में

172)                किसी निश्चित क्षेत्र में प्राणियों की संख्‍या की सीमा, जिसे पर्यावरण समर्थन कर सकता है, कहलाती है वहन क्षमता

173)                बिना पर्यावरण की रूकावट के प्रजनन की क्षमता कहलाती है जैविक विभव (Biotic Potential)

174)                एक पद, जो केवल जीव द्वारा ग्रहण किए गए दिक्‍स्‍थान का ही नहीं, बल्कि जीवों के समुदाय में उसकी कार्यत्‍मक भूमिका का भी वर्णन करता है पारिस्थितिक कर्मता

175)                पृथ्‍वी के सर्वाधिक क्षेत्र पर फैला हुआ पारिस्थितिकी तंत्र है सामुद्रिक

176)                पृथ्‍वी पर विद्यमान जलमंडल (Hydrosphere) में समुद्री जल होता है लगभग 97 प्रतिशत भाग

177)                समुद्री जल में सर्वाधिक व्‍याप्‍त लवण है सोडियम क्‍लोराइड

178)                पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में मदद करता है वनारोपण, वर्षा जल प्रबंधन तथा जैवमंडल भंडार

179)                वन्‍य जीव संरक्षण एवं पर्यावरण में व्‍याप्‍त प्रदूषण का निवारण मददगार है पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में

180)                भारत में पारिस्थितिक असंतुलन का एक प्रमुख कारण है वनोन्‍मूलन

181)                वह कार्य जिससे पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ता है वृक्ष काटना

182)                पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) में उच्‍चतम पोषण स्‍तर का स्‍थान प्राप्‍त है सर्वाहारी(Omnivoous) को

183)                पारिस्थितिकी तंत्र का एक जीवीय संघटक नहीं है वायु

184)                पारिस्थितिकी निकाय में ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत है सौर ऊर्जा

185)                पारितंत्र में खाद्य श्रृंखलाओं के संदर्भ में जिस प्राकर के जीव अपघटक जीव कहलाते हैं कवक, जीवाणु

186)                अपघटक वे जीव होते हैं, जो अपक्ष्‍य या सड़न की प्रक्रिया को तेज करते हैं जिससे पुन: चक्रीकरण हो सके पोषक तत्‍वों का

187)                निर्जीव कार्बनिक तत्‍वों को अकार्बनिक यौगिकों में तोड़ते हैं अपघटक

188)                सूक्ष्‍म जीवों की एक विस्‍तृत किस्‍म जैसे फफूंद, जीवाणु, गोलकृमि, प्रोटोजोआ और केंचुआ भूमिका अदा करते हैं अपघटकों की

189)                प्राथमिक उपभोक्‍ता हैं चींटी तथा हिरण

190)                किसी खाद्य श्रृंखला में मुख्‍यत: प्राथमिक उपभोक्‍ता की श्रेणी में आते हैं शाकाहारी प्राणी

191)                अपघटक (decomposer) तथा प्राथमिक उपभोक्‍ता दोनों की श्रेणी में आती हैं चींटी

192)                वे जीवधारी जो अपना भोजन प्राथमिक उत्‍पादकों (हरे पौधों) से प्राप्‍त करते हैं, कहलाते हैं प्राथमिक उपभेक्‍ता

193)                खाद्य श्रृंखला (फूड चेन) में मानव हैं प्राथमिक तथा द्वितीयक उपभोक्‍ता

194)                शाक-सब्जियों का सेवन करने पर मनुष्‍य प्राथमिक उपभोक्‍ता जबकि मांसभक्षी होने पर श्रेणी में आएगा द्वितीयक उपभोक्‍ता की

195)                समुद्री वातावरण में मुख्‍य प्राथ‍मिक उत्‍पादक होते हैं फाईटोप्‍लैन्‍कटॉन्‍स

196)                पारिस्थितिक तंत्र के जैविक घटकों में उत्‍पादक घटक हैं हरे पौधे

197)                हरे पौधे सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके अपना आहार स्‍वयं निर्मित करते हैं प्रकाश संश्‍लेषण की विधि द्वारा

198)                प्रथम पोषक स्‍तर के अंतर्गत आते हैं हरित पादप

199)                पौधे हरे रंग के लवक (क्‍लोरोफिल) की सहायता से करते हैं प्रकाश संश्‍लेषण

200)                जीवित घटकों में शामिल होने के कारण पारिस्थितिक तंत्र से संबंधित हैं हरे पौधे

201)                ऐसे पदार्थ जिनके ऑक्‍सीकरण के पश्‍चात जीवधायिों को ऊर्जा प्राप्‍त होती है, कहे जाते हैं खाद्य(Food)

202)                जीवों द्वारा ऊर्जा का प्रवाह होता है एकदिशीय (Unidirectional)

203)                आहार श्रृंखला का निर्माण करते हैं घास, बकरी तथा मानव

204)                जीवभार का पिरामिड, जिस पारिस्थितिक तंत्र में उलट जाता है, वह है तालाब

205)                पारिस्थितिकीय तंत्र के विभिन्‍न स्‍तरों के प्रति इकाई क्षेत्र में उपस्थित जीवभार के रेखाचित्रीय निरूपण को कहते हैं जीवभार का पिरामिड

206)                स्‍थलीय पारिस्थितिकीय तंत्र में जीवभार का पिरामिड होता है सीधा (Upright)

207)                पारिस्थितिकीय तंत्र में DDT का समावेश होने के बाद किस एक जीव में उसका संभवत: अधिकतम सांद्रा प्रदर्शित होगा सांप

208)                जब कुछ प्रदूषक आहार श्रृंखला के साथ सांद्रता में बढ़ते जाते हैं और ऊतकों में जमा हो जाते हैं, तो इस घटना को कहते हैं जैविक आवर्धन (Biomagnification)

209)                DDT जैसे प्रदूषक होते हैं जैव अनिम्‍नीकरणीय (Non biodegradable)

210)                पारिस्थितिकी मित्र नहीं है यूकेलिप्‍टस

211)                यूकेलिप्‍टस को उसकी अत्‍यधिक जल ग्रहण शक्ति के कारण घोषित किया गया है पर्यावरण शत्रु

212)                वृक्ष जो पर्यावरणीय संकट माना जाता है यूकेलिप्‍टस

213)                लैन्टिक आवासका उदाहरण है तालाब एवं दलदल

214)                स्थिर जल के आवास लैन्टिक आवास के अंतर्गत आते हैं, इनके उदाहरण हैं आर्द्रभूमि, तालाब, झील, जलाशय

215)                बहते जल के आवास लोटिक (Lotic) आवास कहे जाते हैं, जैसे नदी

216)                दो भिन्‍न समुदायों के बीच का संक्रान्ति क्षेत्र कहलाता है इकोटोन

217)                सर्वाधिक स्‍थायी पारिस्थितिक तंत्र है महासागर

218)                सबसे स्‍थायी पारिस्थितिक तंत्र हैं समुद्री

219)                पारिस्थितिक तंत्र में तत्‍वों के चक्रण को कहते हैं जैव भू-रासायनिक चक्र

220)                जल चक्र को ओडम (Odum) ने सम्मिलित किया है गैसीय चक्र में

221)                पारिस्थितिकी संतुलन से संबंध नहीं है औद्योगिक प्रबंधन

222)                पारिस्थितिकी स्‍थायी मितव्‍ययिता है’ – यह जिस आंदोलन का नारा है चिपको आंदोलन

223)                नर्मदा नदी के ऊपर बनाई जा रही बहुउद्देशीय बांध परियोजना को रोकने के लिए चलाया गया आंदोलन है नर्मदा बचाओ आंदोलन

224)                दक्षिण भारत का पर्यावरण संरक्षण से संबंधित आंदोलन है एपिका आंदोलन

225)                चिपकोआंदोलन संबंधित है पादप संरक्षण से

226)                पारिस्थितिकी तंत्र से संबंधित प्रमुख कथन हैं पारिस्थितिकी-तंत्र (Ecosystem) शब्‍द का प्रयोग सर्वप्रथम ए.जी.टांसले ने किया था, जो जीवन अपना भोजन स्‍वयं उत्‍पादित करते हैं, उन्‍हें स्‍वपोषित(Autotrops) कहते हैं।

227)                पारिस्थितिकी-तंत्र (Ecosystem) शब्‍द का प्रथम प्रयोग किया गया है ए.जी.टांसले द्वारा

228)                सूक्ष्‍मजीव जो मृत पौधों, जन्‍तुओं और अन्‍य जैविका पदार्थों को सड़ा-गला कर वियोजित करते हैं, कहलाते हैं वियोजक (Decomposers)

229)                पारितंत्रों की घटती उत्‍पादकता के क्रम में जो अनुक्रम सही है मैंग्रोव, घासस्‍थल, झील, महासागर

230)                अधिक‍ विविधता वाले पारितंत्र की उत्‍पादकता भी होगी अधिक

231)                खाद्य श्रृंखला उस क्रम का निदर्शन करती है जिसमें जीवों की एक श्रृंखला एक-दूसरे के आहार द्वारा होती है पोषित

232)                पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा का अंतरण क्रमबद्ध स्‍तरों की एक श्रृंखला में होता है, जिसे कहते हैं खाद्य श्रृंखला

233)                जैवमंडलीय पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह होता है एक दिशी

234)                ऊर्जा का न तो सृजन हो सकता है और न ही उसे नष्‍ट किया जा सकता है। यह एक स्‍वरूप से दूसरे स्‍वरूप में परि‍वर्तित हो सकती है ऊष्‍मागतिकी के पहले नियम के अनुसार

235)                हर पोषण स्‍तर पर उपलब्‍ध ऊर्जा की मात्रा घटती जोती है

236)                विभिन्‍न पारिस्थितिक तंत्रों में उत्‍पादकों की सकल उत्‍पादकता का ही शाका‍हारियों द्वारा स्‍वांगीकृत हो पाता है लगभग 10 प्रतिशत भाग

237)                सर्वप्रथम गहन पारिस्थितिकी’ (डीप इकॉलोजी) शब्‍द का प्रयोग किया अर्तीज नेस ने

238)                पारिस्थितिकी निशे (आला) की संकल्‍पना को प्रतिपादित किया था ग्रीनेल ने

239)                पारिस्थितिकीय पदछाप के माप की इकाई है भूमंडलीय हेक्‍टेयर

240)                एक मनुष्‍य के जीवन को पूर्ण रूप से धारणीय करने के लिए आवश्‍यक न्‍यूनतम भूमि को कहते हैं पारिस्थितिकी पदछाप

241)                अविवेकशील जीवन शैली जिसमें पारिस्थितिक तंत्र के घटकों यथा-जल, ऊर्जा इत्‍यादि का आवश्‍यकता से अधिक दोहन किया जाता है, बढ़ा देती है पदछाप के आकार को

242)                भारतीय वन्‍य जीव संरक्षण अधिनियमलागू किया गया वर्ष 1972 में

243)                पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, पर्यावरण के संरक्षण एवं सुधार के लिए लागू किया गया वर्ष 1986 में

244)                जनजातियों एवं अन्‍य पारंपरिक वन निवासियों के (वन अधिकारों को मान्‍यता) अधिनियम लागू किया गया दिसंबर, 2006 में

245)                वन संरक्ष्‍ाण अधि‍नियम लागू किया गया वर्ष 1980 में

246)                मिलेनियम इकोसिस्‍टम एसेसमेंटपारिस्थितिक तंत्र की सेवाओं के प्रमुखवर्गों का वर्णन करता है व्‍यवस्‍था, समर्थन, नियंत्रण, संरक्षण और सांस्‍कृतिक

247)                वह जो एक समर्थन सेवा है पोषक चक्रण और फसल परागण

248)                जैव-वानिकी (Bionomics) के संबंध में सही हैं यह पारिस्थितिकीय का पर्याय (Synonym) है,यह प्राकृतिक तंत्रों के मूल्‍य पर बल देता है, जो मानव तंत्रों को प्रभावित करते हैं।

249)                जैव-वानिकी अर्थात बायोनॉमिक्‍स शब्‍द bio तथा nomic शब्‍दों से मिलकर बना है। bio शब्‍द का तात्‍पर्य जीव या जीवन से है जबकि nomics ग्रीक शब्‍द nomos से व्‍युत्‍पन्‍न है जिसका अर्थ है, (law) नियम। बायोनॉमिक्‍स शब्‍द का शब्दिक अर्थ जीवन के नियम

250)                किसी जल निकाय में घनत्‍व प्रवणता को दर्शाती है पिक्‍नाक्‍लाईन

251)                किसी जल निकाय में लवणता प्रवणता को प्रदर्शित करती है हैलोक्‍लाइन

252)                किसी जल निकाय में गहराई के साथ तापमान परिवर्तन को दर्शाती है थर्मोक्‍लाइन

253)                पारितंत्र उत्‍पादकता के संदर्भ में समुद्री उत्‍प्रवाह (अपवेलिंग) क्षेत्र इसलिए महत्‍वपूर्णहैं, क्‍योंकि ये समुद्री उत्‍पादकता बढ़ाते हैं पोषकों को सतह पर लाकर

254)                वायु प्रवाह द्वारा समुद्र की सतह पर विद्यमान गर्म, पोषकरहित जल को सघन, ठण्‍डे तथा पोषण तत्‍वों से परिपूर्ण जल द्वारा स्‍थानांतरित कर दिया जाता है समुद्री उत्‍प्रवाह द्वारा

255)                पारिस्थितिक संवेदी क्षेत्र वे क्षेत्र हैं, जिन्‍हें घोषित किया गया है पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत

256)                पारिस्थितिक संवेदी क्षेत्रों में कृषि को छोड़कर सभी मानव क्रियाओं का निषेध नहीं है, बल्कि कुछ पर प्रतिबंध लगाया गया है और कुछ को किया गया है विनियमित

257)                घासस्‍थलोंमें वृक्ष पारिस्थितिक अनुक्रमण के अंश के रूप में जिस कारण घासों को प्रतिस्‍थापित नहीं करते हैं, वह है जल की सीमाओं एवं आग के कारण

258)                भौतिक वातावरण में किसी समुदाय का समय के साथ रूपांतरण ही कहलाता है पारिस्थितिक अनुक्रमण

259)                जैविक अनुक्रमण की प्रावस्‍थाओं का सही क्रम है नग्‍नीकरण, प्रवास, आस्‍थापन, प्रतिक्रया, स्थिरीकरण

260)                वर्ष 1916 में पौधों की विभिन्‍न प्रजातियों का अध्‍ययन किया तथा अनुक्रमण (Succession) की सर्वमान्‍य परिभाषा दी एफ. क्लिमेंट (F. Clement) ने

261)                वह प्राकृतिक विधि जिसके अंतर्गतएक ही निहित तथा निश्चित स्‍थान पर एक विशिेष समूह, दूसरे समूह द्वारा विस्‍थापित हो जाता है। अनुक्रमण

262)                राष्‍ट्रीय उद्यानों में आनुवंशिक विविधता का रख-रखाव किया जाता है इन-सीटू संरक्षण द्वारा

263)                TRAFFIC मिशन यह सुनिश्चित करता है कि वन्‍य पादपों और जंतुओं के व्‍यापार से खतरा न हो प्रकृति के संरक्षण को

264)                TRAFFIC की स्‍थापना वर्ष 1976 में की गई थी। यह रणनीतिकगठबंधन है – WWF एवं IUCN का

265)                जैव-विविधता को इस प्रकार परिभाषित किया जाता है किसी पर्यावरण में विभिन्‍न प्रजातियों की श्रेणी

266)                जैव-विविधता अल्‍फा (α) , बीटा (β) तथा गामा (γ) नामक श्रेणियों में विभाजित की जाती है। यह विभाजन वर्ष 1972 में किया था व्हिटैकर (Whittaker) ने

267)                जैव-विविधता का अर्थ है एक निर्धारित क्षेत्र में विभिन्‍न प्रकार के पादप एवं जंतु

268)                जैव-विविधता का सबसे महत्‍वपूर्ण पहलू है पारिस्थितिक तंत्र का निर्वहन

269)                आनुवंशिक, जाति, समुदाय व पारितंत्र के स्‍तर पर विभिन्‍न प्रकार के कार्य करके पारिस्थितिक तंत्र का निर्वहन करती है जैव-विविधता

270)                जैव-विविधता के नाश का कारण है जीवों के प्राकृतिक आवास की कमी, पर्यावरणीय प्रदूषण, वनों का नाश

271)                जैव-विविधता के ह्रास का मुख्‍य कारण है प्राकृतिक आवा‍सीय विनाश

272)                जैव-विविधता के कम होने का मुख्‍य कारण है आवासीय विनाश

273)                संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ द्वारा जैव-विविधता के लिए संकट हो सकते हैं वैश्विक तापन, आवास का विखंडन,विदेशी जाति का संक्रमण

274)                जैव-विविधता के लिए बड़ा खतरा है प्राकृतिक आवासों और वन‍स्‍पति का विनाश तथा झूम खेती

275)                देश के पूर्वी और उत्‍तर-पूर्वी हिस्‍सों में यह खेती प्रचलित है जो कि खेती का अवैज्ञानिक तरीका है झूम खेती

276)                जैव-विविधता हॉटस्‍पॉट स्‍थलों में शामिल है पूर्वी हिमालय (Eastern Himalayas)

277)                भारत में जैव-विविधता के ताप स्‍थल’ (हॉटस्‍पॉट) हैं पूर्वी हिमालय व पश्चिमी घाट

278)                जैव-विविधता हॉटस्‍पॉट केवल उष्‍णकटिबंधीय प्रदेशों में ही नहीं बल्कि पाए जाते हैं उच्‍च अक्षांशीयप्रदेशों में भी

279)                भारत में चार जैव-विविधता हॉटस्‍पॉट स्‍थ्‍ाल हैं। ये हॉटस्‍पॉट हैं पूर्वी हिमालय, पश्चिमी घाट, म्‍यांमार-भारत सीमा एवं सुंडालैण्‍ड

280)                भारत में जैव-विविधता की दृष्टि से संतृप्‍त क्षेत्र है पश्चिमी घाट

281)                जैव-विविधता के संदर्भ में भारत में क्षेत्र हॉटस्‍पॉटमाना जाता है अंडमान निकोबार द्वीप समूह

282)                हॉटस्‍पॉट शब्‍दों का सर्वप्रथम प्रयोग वर्ष 1988 में किया नार्मन मायर्स ने

283)                जहां पर जातियों की पर्याप्‍तता तथा स्‍थानीय जातियों की अधिकता पाई जाती है लेकिन साथ ही इन जीव जातियों के अस्तित्‍व पर निरंतर संकट बना हुआ है। वह क्षेत्र कहलाता है हॉटस्‍पॉट

284)                सबसे लंबा जीवित वृक्ष है सिकाया (Sequoia)

285)                किसी प्रजाति को विलुप्‍त माना जा सकता है, जब वह अपने प्राकृतिक आवास में देखी नहीं गई है 50 वर्ष से

286)                किसी प्रजाति के विलोपन के लिए उत्‍तरदायी है बड़े आकार वाला शरीर, संकुचित निच (कर्मता),आनुवांशिक भिन्‍नता की कमी

287)                किसी प्रजाति के विलोपन के लिए उत्‍तरदायी नहीं है व्‍यापकनिच(Broad Niche)

288)                प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधन अंतरराष्‍ट्रीय संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा विलुप्ति के कगार पर खड़े संकटग्रस्‍त पौधों और पशु जातियों की सूचियां सम्मिलित की जाती है रेड डाटा बुक्‍स में

289)                रेड डाटा बुकअथवा रेड लिस्‍टसे संबंधित संगठन है आई.यू.सी.एन.

290)                प्राणी समूह जो संकटापन्‍न जातियों के संवर्ग के अंतर्गत आता है महान भारतीय सारंग, कस्‍तूरी मृग, लाल पांडा और एशियाई वन्‍य गधा

291)                सोन चिरैया या महान भारतीय सारंग (Great Indian Bustard), साइवेरियन सारस और सलेटी टिअहरी (Sociable lapwing) अति संकटग्रस्‍त श्रेणी में, कस्‍तूरी मृग संकटग्रस्‍त श्रेणी में और एशियाई वन्‍य गधा संकट के नजदीक (Near Threatened) श्रेणी में जबकि लाल पांडा शामिल है संकटग्रस्‍त श्रेणी में

292)                गोल्‍डन ओरिओल, ग्रेट इंडियन बस्‍टर्ड, इंडियन फैनटेल पिजियन तथा इंडियन सनबर्ड भारतीय पक्षियों में से अत्‍यधिक संकटापन्‍न किस्‍म है ग्रेट इंडियन बस्‍टर्ड

293)                यद्यपि भारत की जनसंख्‍या तीव्र गति से बढ़ रही है, किन्‍तु पक्षियों की संख्‍या तेजी से घट रही है, क्‍योंकि पक्षियों के वास स्‍थान पर बड़े पैमाने पर कटौती हुई है, कीटनाशक रासायनिक उर्वकरण तथा मच्‍छर भगाने वाली दवाओं का बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है

294)                उत्‍तराखण्‍ड में जैव-विविधता के ह्रास का कारण नहीं है बंजर भूमिका वनीकरण

295)                सड़कों का विस्‍तार, नगरीकरण एवं कृषि का विस्‍तार उत्‍तरदायी कारकों में शामिल हैं जैव-विविधता के ह्रास के लिए

296)                वर्ष1975 में यह भारत का अभिन्‍न अंग बन गया था। इसे वनस्‍पति शास्त्रियों का स्‍वर्ग माना जाता है सिक्किम

297)                पूर्वी हिमालय के हॉटस्‍पॉट क्षेत्र में आता है सिक्किम

298)                जैव-विविधता के साथ-साथ मनुष्‍य के परंपरागत जीवन के संरक्षण के लिए सबसे महत्‍वपूर्ण रणनीति जिस एक की स्‍थापना करने में निहित है, वह है जीवमंडल निचय (रिज़र्व)

299)                जैव विविधता के संरक्षण के लिए महत्‍वपूर्ण रणनीति है जैवमंडल रिजर्व

300)                वह स्‍थल जो व‍नस्पिति संरक्षण हेतु स्‍वस्‍थान पद्धति (in-situ) नहीं है वान‍स्‍पतिक उद्यान

301)                क्रायो बैंक एक्‍स-सीटूसंरक्षण के लिए जो गैस सामान्‍यत: प्रयोग होती है, वह है नाइट्रोजन

302)                वनस्‍पतियों एवं जानवरों की विलुप्‍तप्राय प्रजातियों का संरक्षण उनके प्राकृतिक आवास से पृथक किया जाता है एक्‍स-सीटू सरंक्षण द्वारा

303)                सर्वाधिक जैव-विविधता पाई जाती है उष्‍ण कटिबंधीय वर्षा वनों में

304)                उष्‍ण कटिबंधीय वर्षा वनों का विस्‍तार पाया जाता है 100उ. तथा 100द. अक्षांशों के मध्‍य

305)                इन क्षेत्रों में पादप तथा प्राणियों के विकास तथा वृद्धि के लिए अनुकूलतम दशाएं पायी जाती हैं, क्‍योंकि इसमें वर्ष भर रहता है उच्‍च वर्षा तथा तापमान

306)                किसी निश्‍चत भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों की संख्‍या तथा उनकी विविधता को कहा जाता है जैव-विविधता

307)                सर्वाधिक जैव-विविधता पायी जाती है उष्‍णकटिबंधीय वर्षा वन बायोम

308)                प्राणियों और पादपों की जातियों में अधिकतम विविधता मिलती है उष्‍ण कटिबंध के आर्द्र वनों में

309)                जैव-विविधता में परिवर्तन होता है, क्‍योंकि यह भूमध्‍य रेखा की तरु बढ़ती है

310)                सर्वाधिक जैव-विविधता पाई जाती है उष्‍ण कटिबंधीय क्षेत्रों में

311)                शान्‍त घाटी, कश्‍मीर, सुरमा घाटी तथा फूलों की घाटी में से सर्वाधिक जैव-विविधता पाई जाती है शान्‍त घाटी में

312)                शान्‍त घाटीअवस्थित है केरल में

313)                साइलेंट वैली परियोजनाजिस राज्‍य से संबंधितहै, वह है केरल

314)                फूलों की घाटीअवस्थित है उत्‍तराखण्‍ड में

315)                आर्द्र क्षेत्रों में जिन्‍हें रामसर का दर्जा प्राप्‍त है चिल्‍का झील, लोकटक, केवलादेव तथा वूलर झील

316)                रामसर सूची अंतरराष्‍ट्रीय महत्‍व की आर्द्र भूमियों की सूची है। इस सूची में वर्तमान में भारत के शामिल स्‍थल हैं कुल 26 स्‍थल

317)                रामसर कन्‍वेन्‍शन के अंतर्गत रामसर स्‍थल है भोज आर्द्र स्‍थल

318)                रामसर सम्‍मेलन संरक्षण से संबंधित था नम भूमि के

319)                वेटलैंड दिवस मनाया जाता है 2 फरवरी को

320)                भारत की सबसे बड़ी अंतर्देशीय लवणीय आर्द्रभूमि गुजरात में

321)                जीवमंडल आरक्षित परिरक्षण क्षेत्र है आनुवंशिक विभिन्‍नता के क्षेत्र

322)                प्रवाल-विरंजन का सबसे अधिक प्रभावी कारक हैं सागरीय जल के सामान्‍य तापमान में वृद्धि

323)                प्रवाल-विरंजन समुद्री तापमान और अम्‍लता में वृद्धि, वैश्विक ऊष्‍मन सहित पर्यावरण दबाव के कारण होता है जिससे सहजीवी शैवाल का मोचन और साथ ही घटित होती हैं प्रवालों की मृत्‍यु

324)                जिनमें प्रवाल-भित्तियां हैं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, कच्‍छ की खाड़ी, मन्‍नार की खाड़ी

325)                सर्वप्रथम बायोडायवर्सिटीशब्‍द का प्रयोग किया था वाल्‍टर जी. रोसेन ने

326)                जैव-विविधता जिन माध्‍यम/माध्‍यमों द्वारा मानव अस्तित्‍व का आधार बनी हुई है मृदा निर्माण, मृदा अपरदन की रोकथाम, अपशिष्‍ट का पुन:चक्रण, शस्‍य परागण

327)                संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ द्वारा 2011-20 के लिए दशक निर्दिष्‍ट किया है जै‍व-विविधता दशक

328)                पारिस्थितक तंत्र की जैव-विविधता की बढ़ोतरी के लिए उत्‍तरदायी नहीं है पोषण स्‍तरों की कम संख्‍या

329)                पारिस्थितिकी तंत्र होता है एक गतिकीय तंत्र

330)                हिमालय पर्वतप्रदेश जाति विविधता की दृष्टि से अत्‍यन्‍त संमृद्ध हैं। इस समृद्धि के लिए जो कारण सबसे उपयुक्‍त है, वह है यह विभिन्‍न जीव-भौगोलिक क्षेत्रोंका संगम है

331)                भारतीय संसद द्वारा जैव-विविधता अधिनियम पारित किया गया दिसंबर 2002 में

332)                भारतीय राष्‍ट्रीय जैविक-विविधता प्राधिकरणस्‍थापित किया गया वर्ष 2003, चैन्‍नई (तमिलनाडु) में

333)                राष्‍ट्रीय जैव-विविधता प्राधिकरण भारत में कृषि संरक्षण में सहायकहै, यह जैव चोरी को रोकता है तथा देशी और परंपरागत आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण करता है, एन.बी.ए. की अनुशंसा के बिना आनुवंशिक/जैविक संसाधनोंसे संबंधित बौद्धिकसंपदा अधिकार हेतु आवेदन नहीं किया जा सकता है।

334)                सीवकथोर्न के विश्‍वव्‍यापी मार्केट की बड़ी सम्‍भावनाएं हैं। इस पेड़ के बेर में विटामिन और पोषक तत्‍व प्रचुर होते हैं। चंगेज खां ने इसका प्रयोग अपनी सेना की ऊर्जस्विता को उन्‍नत करने के लिए किया था। रूसी कॉस्‍मोनाटों ने इसकेतेल को कास्मिक विकिरण से बचाव के लिए किया था। भारत में यह पौधा पाया जाता है लद्दाख में

335)                भारत सरकार सीबकथोर्नकी खेती को प्रोत्‍साहित कर रही है। इस पादप का महत्‍व है यह मृदा-क्षरण के नियंत्रण में सहायक है और मरुस्‍थलीकरण को रोकता है। इसमें पोषकीय मान होता है और यह उच्‍च तुंगता वाले ठंडे क्षेत्रों में जीवित रहने के लिए भली-भांति अनुकूलित होता है।

336)                भारत में लेह बेरी के नाम से लोकप्रिय एक पर्णपाती झाड़ी है सीबकथोर्न

337)                पिछले दस वर्षों में बिद्धों की संख्‍या में एकाएक बिरावट आई है। इसके लिए उत्‍तरदायी कारण एक साधारण सी दर्द निवारक दवा है, जिसका उपयोग किसानों द्वारा पशुओं के लिए दर्द निवारक के रूप में एवं बुखार के इलाज में किया जाता ह। वह दवा है डिक्‍लाफिनेक सोडियम

338)                भारत में गिद्धों की कमी का अत्‍यधिक प्रमुख कारण है जानवरों को दर्द निवारक देना

339)                कुछ वर्ष पहले तक गिद्ध भारतीय देहातों में आमतौर से दिखाई देते थे, किंतु आजकलकभी-कभार ही नजर आते हैं। इस स्थिति के लिए उत्‍तरदायी है गोपशु मालिकों द्वारा रुग्‍ण पशुओं के लिए उपचार हेतु प्रयुक्‍त एक औषधि

340)                मॉरीशस में एक वृक्ष प्रजाति प्रजनन में असफल रही, क्‍योंकि एक फल खाने वाला पक्षी विलुप्‍त हो गया, वह पक्षी था डोडा

341)                मॉरीशस में टम्‍बलाकोक (Tambalacoque), जिसे डोडा वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है, प्रजनन में असफल रहा, जिसकी वजह से यह लगभग विलुप्‍त हो रहा है। इसका मुख्‍य कारण है डोडो पक्षी की विलुप्ति

342)                भारतीय वन्‍य जीवन के सन्‍दर्भ में उड्उयन वल्‍गुल (फ्लाइंग फॉक्‍स) है चमगादड़

343)                ग्रेटर इंडियन फ्रूट बैट’ (Greater Indian Fruit Bat) के नाम से भी जाना जाता है इंडियन फ्लाइंग फॉक्‍स

344)                डुगोन्‍ग नामक समुद्री जीव जो कि विलोपन की कगार पर है वह है एक स्‍तरधारी (मैमल)

345)                        भारत में पाये जाने वाले स्‍तनधारी ड्यूगोंगके संदर्भ में सही है/हैं यह एक शाकाहारी समुद्री जानवर है, इसे वन्‍य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची । के अधीन विधिक संरक्षण दिया गया है।

346)                यह एक समुद्रीस्‍तनधारी है और घास खाने की इनकी आदत के कारण इन्‍हें समुद्री गायभी कहा जाता है ड्यूगोंग

347)                जिन तीन मानकों के आधार पर पश्चिमी घाट-श्रीलंका एवं इंडो-बर्मा क्षेत्रों को जैव-विविधता के प्रखर स्‍थलों (हॉटस्‍पॉट्स) के रूप में मान्‍यता प्राप्‍त हुई है, वे हैं जाति बहुतायता (स्‍पीशीज़ रिचनेस) स्‍थानिकता तथा आशंका बोध

348)                बर्डलाइफ इंटरनेशनल’ (BirdLife International) नामक संगठन के संदर्भ में कथन सही है यह संरक्षण संगठनों की विश्‍वव्‍यापी भागीदारी है, यह महत्‍वपूर्ण पक्षी एवं जैवविविधता क्षेत्र'(इम्‍पॉर्टैन्‍ट बर्ड एवं बॉयोडाइवर्सिटि एरियाज़)के रूप में ज्ञात/निर्दिष्‍ट स्‍थलों की पहचान करता है।

349)                जैव-विविधता हॉटस्‍पॉट की संकल्‍पता दी गई थी ब्रिटिश पर्यावरणविद् नॉर्मन मायर्स द्वारा

350)                जैव-सुरक्षा पर कार्टाजेना उपसंधि (प्रोटोकॉल) के पक्षकारों की प्रथम बैठक (MOP) 23-27 फरवरी, 2004 के मध्‍य सम्‍पन्‍न हुई थी मलेशिया की राजधानी क्‍वालालम्‍पुर में

351)                भारत ने जैव-सुरक्षा उपसंधि (प्रोटोकॉल)/जैव-विविधता पर समझौते पर हस्‍ताक्षर किया था। 23 जनवरी, 2001 को

352)                जैव-सुरक्षा उपसंधि (प्रोटोकॉल) संबद्ध है आनुवंशिक रूपांतरित जीवों से

353)                जैव-सुरक्षा उपसंधि/जैव-विविधता पर समझौते का सदस्‍य नहीं है संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका

354)                जैव-सुरक्षा (बायो-सेफ्टी) का कार्टाजेना प्रोटोकॉल कार्यान्वित करता है पर्यावरणएवं वन मंत्रालय

355)                बलुई और लवणीय क्षेत्रएक भारतीय पशु जाति का प्राकृतिक आवास है। उस क्षेत्र में उस पशु के कोई परभक्षी नहीं है किंतु आवास ध्‍वंस होने के कारण उसका अस्तित्‍व खतरे में है। यह पशु है भारतीय वन्‍य गधा

356)                जैव-विविधता पर संयुक्‍त राष्‍ट्र सम्‍मेलनके दलों का दसवां सम्‍मेलन आयोजित किया गया था नगोया में

357)                जैव-विविधता पर संयुक्‍त राष्‍ट्र सम्‍मेलन के दलों का ग्‍यारहवां सम्‍मेलन (CoP-11) 8-11 October 2012 के मध्‍य आयोजित किया गया हैदराबाद, भारत में

358)                UN-REDD+ प्रोग्राम की समुचित अभिकल्‍पना और प्रभावी कार्यान्‍वयन महत्वपूर्ण रूप से योगदान दे सकते हैं जैव-विविधता का संरक्षण करने में वन्‍य पारिस्थितिकी की समुत्‍थानशीलता में तथा गरीबी कम करने में

359)                दो महत्‍वपूर्ण नदियां जिनमेंसे एक का स्रोत झारखंड में है (और जो उड़ीसा में दूसरे नाम से जानी जाती है) तथा दूसरी जिसका स्रोत उड़ीसा में है समुद्र में प्रवाह करनेसे पूर्व एक ऐसे स्‍थान पर संगम करती हैं, जो बंगाल की खाड़ी से कुछ ही दूर है। यह वन्‍य जीवन तथा जैव-विविधता का प्रमुख स्‍थल है और सुरक्षित क्षेत्र है। वह स्‍थल है भितरकनिका

360)                प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए अंतरराष्‍ट्रीय संघ (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्‍जर्वेशन ऑफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेज़) (IUCN) तथा वन्‍य प्राणिजात एवं वनस्‍पतिजात की संकटापन्‍न स्‍पीशीज़ के अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार पर कन्‍वेंशन (कन्‍वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एन्‍डेंजर्ड स्‍पीशीज़ ऑफ वाइल्‍ड फॉना एंड फ्लोरा) (CITES) के संदर्भ में सही है – IUCN, प्राकृतिक पर्यावरण के बेहतर पर्यावरण के बेहतर प्रबंधन के लिए, विश्‍व भर में हजारों क्षेत्र-परियोजनाएं चलाता है। CITES उन राज्‍यों पर वैध रूप से आबद्धकर है जो इसमें शामिल हुए हैं,लेकिन यह कन्‍वेंशन राष्‍ट्रीय विधियों का स्‍थान नहीं लेता है।

361)                IUCN, एक अंतरराष्‍ट्रीय संगठन है जो प्रकृति संरक्षण एवं प्राकृतिक संसाधनों के सतत प्रयोग के क्षेत्र में कार्यरत है। यह अंग नहीं है संयुक्‍त राष्‍ट्र का

362)                पारितंत्र एवं जैव-विविधता का अर्थतंत्र’ (The Economics of Ecosystems and Biodiversity-TEEB) नामक पहल के संदर्भ में सही है/हैं यह एक विश्‍वव्‍यापी पहल है, जो जैव-विविधता के आर्थिक लाभों के प्रति ध्‍यान आकषित करने पर केंद्रित है। यह ऐसा उपागम प्रस्‍तुत करता है, जो पारितंत्रों और जैव-विविधता के मूल्‍य की पहचान, निदर्शन और अभिग्रहण में निर्णयकर्ताओं की सहायता कर सकता है।

363)                TEEB, संयुक्‍त राष्‍ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme) के अंतर्गत कार्य करने वाली संस्‍था है। इसका कार्यालय है जेनेवा, स्विट्जरलैंड में

364)                सिंह-पुच्‍छी वानर (मॅकाक) अपने प्राकृतिक आवास में पाया जाता है तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक में

365)                भारत में प्राकृतिक रूप में पाए जाते हैं काली गर्दन वाला सारस (कृष्‍णग्रीव सारस), उड़न गिलहरी (कंदली), हिम तेंदुआ

366)                चीता को भारत से विलुप्‍त घोषित किया गया था वर्ष 1952 में

367)                समुद्र तल से 3000-4500 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है हिम तेंदुआ

368)                जम्‍मू एवं कश्‍मीर का राज्‍य पक्षी है काली गर्दन वाला सारस

369)                भारत में सर्वाधिक उड़न गिलहरी हैं हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में

370)                शीतनिष्क्रियता की परिघटना का प्रेक्षिण कियाजा सकता है चमगादड़, भालू कृंतक (रोडेन्‍ट) में

371)                समशीतोष्‍ण (Temperate) और शीतप्रधान देशों में रहने वाले जीवों की उस निष्क्रिय तथा अवसन्‍न अवस्‍था को जिसमें वहां के अनेक प्राणी जाड़े की ऋतु बिताते हैं। कहते हैं शीतनिष्क्रियता(Hybernation)

372)                गिलहरियां (Squirrels), छदूंदर (Must Rats), चूहे (Rats), मूषक (Mice) आदि स्‍तनधारी प्राणी आते हैं कृंतक (Rodents)  गण में

373)                उच्‍चतर अक्षांशों की तुलना में जैव-विविधतासामान्‍यत- अधिक होती है निम्‍नतर अक्षांशों में

374)                पर्वतीय प्रवणताओं (ग्रेडिएन्‍ट्स) में उच्‍चतर उन्‍नतांशों की तुलना में जैव-विविधता सामान्‍यत: अधिक होती है निम्‍नतर अक्षांशों में

375)                अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पाया जाता है लवण जल मगर

376)                अंडमान और निकोबार के समुद्री जीव-जन्‍तुओं में डूगॉग्‍स, डॉल्फिन, व्‍हेल, साल्‍ट वाटर समुद्री कछुआ, समुद्री सांप आदि आमान्‍य रूप से बहुतायत से पाए जाते हैं। विशाल हिमालय श्रृंखला में पाए जाते हैं श्रूएवं टैपीर

377)                भारत में उत्‍तर पूर्व के सघन वनों में रहता है स्‍लो लोरिस (Slow Loris)

378)                वृक्षों पर रहने वाला वह स्‍तनधारी जिसका जूलॉजिकल नाम ऐलुरस फल्‍गेंस (Ailuras Fulgens) है रेड पांडा

379)                भारत में रेड पांडा प्राकृतिक रूप में पाया जाता है उत्‍तर-पूर्वी भारत के उप-हिमालयी क्षेत्रों में

380)                यह ज्ञान के विकास और संग्रहरण के लिए तथा व्‍यावहारिक अनुभव का बेहतर नीतियों हेतु पक्षसमर्थन करने के लिए क्षेत्र स्‍तर पर कार्य करता है वेटलैंड्स इंटरनेशलन

381)                वेटलैंड्स इंटरनेशलनएक गैर-सरकारी एवं गैर-लाभकारी वैश्विक संगठन है जो आर्द्रभूमियों एवं उनके संसाधनों को बनाए रखने तथा उन्‍हें पुन: स्‍थापित करने हेतु कार्यरत हैं। इसका मुख्‍यालय स्थित है नीदरलैंड्स में

382)                भारत रामसर अभिसमय (Ramsar Convention) का एक पक्षकार है और उसने बहुत से क्षेत्रों को रामसर स्‍थल घोषित किया है। वह कथन जो इस अभिसमय के संदर्भ में सर्वोत्‍तम रूप से बताता है कि इन स्‍थलों का अनुरक्षण कैसेकिया जाना चाहिए इन सभी स्‍थलों का, पारिस्थितिकी तंत्र उपागम से संरक्षण किया जाए और साथ-साथ उनके धारणीय उपयोग की अनुमति दी जाए

383)                भारत रामसर अभिसमयका एक पक्षकार है और उसने बहुत से क्षेत्रों को रामसर स्‍थल घोषित किया है ताकि इन सभी स्‍थलों का, पारिस्थितिकी तंत्र उपागम से संरक्षण किया जाए और साथ-साथ अनुमति दी जाए। उनके धारणीय उपयोग की

384)                यदि अंतरराष्‍ट्रीय महत्‍व की किसी आर्द्रभूमि को मॉन्ट्रियो रिकॉर्डके अधीन लाया जाए, तो इससे अभिप्राय है मानव हस्‍तक्षेप के परिणाम स्‍वरूप आर्द्रभूमि में पारिस्थितिक स्‍वरूप में परिवर्तन हो गया है, हो रहा है या होना संभावित है।

385)                पारिस्थितिकीय निकाय के रूप में आर्द्र भूमि (बरसाती जमीन) उपयोगी है पोषक पुनर्प्राप्ति एवं चक्रण हेतु पौधों द्वारा अवशोषण के माध्‍यम से भारी धातुओं को अवमुक्‍त करने हेतु, तलछट रोक कर नदियों का गादीकरण कम करने हेतु

386)                जलीय तथा शुष्‍क स्‍थलीय पारिस्थितिकीय तंत्रके बीच के क्षेत्र कहलाते हैं आर्द्र भू-क्षेत्र

387)                आर्द्रभूमि के अंतर्गत देश का कुल भौगोलिक क्षेत्र अन्‍य राज्‍यों की तुलना में अधिक अंकित है गुजरात में

388)                भारत में तटीय आर्द्रभूमि का कुल भौगोलिक क्षेत्र, आंतरिक आर्द्रभूमि के कुल भौगोलिक क्षेत्र से कम है

389)                जैव द्रव्‍यमान का वार्षिक उत्‍पादन न्‍यूनतम होता है गहरे सागर में    

390)                जैव द्रव्‍यमान के उत्‍पादन की दृष्टि से प्रथम स्‍थान पर आते हैं उष्‍णकटिबंधीय वर्षा वन

391)                टुमारोज बायोडायवर्सिटीपुस्‍तक की लेखिका हैं वंदना शिवा

392)                जैव-विविधता से संबंध रखते हैं खाद्य एवं कृषि हेतु पादप आनुवंशिक संसाधनों के विषय में अंतरराष्‍ट्रीय संधि, मरुभवन का सामना करने हेतु संयुक्‍त राष्‍ट्र अभिसमय, विश्‍व विरासत अभिसमय

393)                वर्ष 1997 में विश्‍व पर्यावरण सम्‍मेलन आयोजित किया गया था क्‍योटो में

394)                जलवायु परिवर्तन पर संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ का कन्‍वेंशन ढांचा संबंधित है ग्रीनहाउस गैसों के उत्‍सर्जन में कमी से

395)                यूरोपीय संघ (EU) द्वारा विकासशील देशों के साथ वार्तालाप एवं सहयोग से वर्ष 2007 में स्‍थापित की गई भूमंडलीय जलवायु परिवर्तन संधि (GCCA)

396)                यह लक्ष्‍याधीन विकासशील देशों को उनकी विकास नीतियों और बजटों में जलवायु परिवर्तन के एकीकीरण हेतु प्रदान करती है तहनीकी एवं वित्‍तीय सहायता

397)                वायुमंडल के प्राकृतिक संतुलन के लिए कार्बन डाइऑक्‍साइड की उपयुक्‍त सांद्रता है 03%

398)                जलवायु परिवर्तन के प्र‍मुख कारक हैं जीवाश्मिक ईंधन का अधिकाधिक प्रज्‍ववलन, तैल चालित, स्‍वचालितों की संख्‍या विस्‍फोटन तथा अत्‍यधिक वनोन्‍मूलन

399)                वह देश जिसने ग्रीन हाउस गैस के उत्‍सर्जन में कमी करने हेतु वर्ष 2019 में कार्बन टैक्‍सलगाने की घोषणा की सिंगापुर

400)                कार्बन डाइऑक्‍साइड के मानवोद्भवी उत्‍सर्जनों के कारण आसन्‍न भूमंडलीय तापन के न्‍यूनीकरण के संदर्भ में कार्बन प्रच्‍छादन हेतु संभावित स्‍थान हो सकते हैं परित्‍यक्‍त और गैर-लाभकारी कोयला संस्‍तर, नि:शेष तेल एवं गैस भंडार एवं भूमिगत गंभीर लवणीय शैल समूह

401)                जलवायु परिवर्तन पर झारखंड कार्ययोजना प्रकाशित हुई वर्ष 2013 एवं 2014 में

402)                झारखंड जलवायु परिवर्तन कार्ययाजना रिपोर्ट (2014) के अनुसार सबसे संवेदनशील जिला है सरायकेला खारसवां

403)                जलवायु परिवर्तन का कारण है ग्रीन हाउस गैसें, ओजोन पर्त का क्षरण तथा प्रदूषण

404)                जीवाश्‍म ईंधन के जलने से वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों में वृद्धि तथा ओजोन परत का अवक्षय प्रमुख कारण है जलवायु परिवर्तन का

405)                वर्ष 2015 में 21वां जलवायु परिवर्तन सम्‍मेलन हुआ था पेरिस में

406)                ग्रीन हाउस इफेक्‍ट वह प्रक्रिया है जिसमे ंवायुमंडलीय कार्बन डाईऑक्‍साइड द्वारा इन्‍फ्रारेड विकिरण शोषित कर लिए जाने से वायुमंडल का तापमान बढ़ता है।

407)                एक प्राकृतिक प्रकिृया जिसके द्वारा किसीग्रह या उपग्रह के वातावरण में मौजूद कुछ गैसें ग्रह/उपग्रह के वातावरण के ताप को अपेक्षाकृत अधिक बनाने में मदद करती है गैसों के वायुमंडल में जमा

408)                ग्रीन हाउस प्रभावहै गैसों के वायुमंडल में जमा होने से पृथ्‍वी के वातावरण का गर्म होना

409)                ग्रीन हाउस गैसों की संकल्‍पना की थी जोसेफ फोरियर ने

410)                क्‍योटो प्रोटोकॉलसंबंधित है जलवायु परिवर्तन से

411)                क्‍योटो प्रोटोकॉल एक अंतरराष्‍ट्रीय समझौता है, जो संबंद्ध है – UNFCCC (United Nations Framework Convention on Climate Change) से

412)                सही कथन है क्‍योटो उपसंधि वर्ष 2005 में लागू हुई। मेथेन, कॉर्बन डाईऑक्‍साइड की तुलना में ग्रीन हाउस गैस के रूप में अधिक हानिकारक है।

413)                किसी गैस के अणुओंकी दक्षता एवं उस गैस के वायुमंडलीय जीवनकाल पर निर्भर करता है गैस का वैश्विक तापन विभव (GWP: Global Warming Potential)

414)                कार्बन डायऑक्‍साइड का वायुमंडलीय जीवनकाल परिवर्तनीय है, जबकि सभी समयावधिओं के दौरान इसका वैश्विक तापन विभव 1 पाया गया है, वहीं दूसरी ओर मेथेन का 20 वर्ष के दौरान वैश्विक तापन विभव पाया गया  72

415)                पर्यावरण में ग्रीन हाउस प्रभाव में वृद्धि होती है कार्बन डाइऑक्‍साइड के कारण

416)                वायुमंडल में उपस्थित वह गैसें जो तापीय अवरक्‍त विकिरण की रेंज के अंतर्गत विकिरणों का अवशोषण एवं उत्‍सर्जन करती हैं ग्रीन हाउस गैसें

417)                ग्रीन हाउस गैस नहीं है– O2

418)                गैस समूह जो ग्रीन हाउस प्रभावमें योगदान देता है कार्बन डाइऑक्‍साइड तथा मेथेन

419)                प्राकृतिक रूप में पाई जाने वाली ग्रीन हाउस गैस जो सर्वाधिक ग्रीन हाउस इफेक्‍ट करती है जलवाष्‍प

420)                वैश्विक ऊष्‍मन के लिए उत्‍तरदायी नहीं है ऑर्गन

421)                मई,2011 में विश्‍व बैंक के साथ हुए उत्‍सर्जन ह्रास क्रय समझौते के बारे में सही है समझौता 10 वर्ष के लिए लागू रहेगा, समझौता हिमाचल प्रदेश की एक परियोजना के लिए कार्बन क्रेडिट सुनिश्चित करेन के लिए है, समझौते के अनुसार एक टन कार्बन डाईऑक्‍साइड एक क्रेडिटइकाई के समतुल्‍य होगी।

422)                एक गैस जो धरती पर जीवन के लिए हानिकारक और लाभदायक दोनों है कार्बन डाईऑक्‍साइड

423)                आज कार्बन डाईऑक्‍साइड (CO2) के उत्‍सर्जनमें सर्वाधिक योगदान करने वाला देश है चीन

424)                वह देश जिसे दुनिया में कार्बन निगेटिव देशके रूप में माना जाता है भूटान

425)                वे पदार्थ जो सार्वत्रिक तापन उत्‍पन्‍न करने में योगदान करते हैं मेथेन, कार्बन डाइऑक्‍साइड तथा जलवाष्‍प

426)                ग्रीन हाउसर्गस नहीं है हाइड्रोजन

427)                हरित गृह गैस नहीं है नाइट्रोजन

428)                गैस जो ग्‍लोबल वार्मिंग के लिए ज्‍यादा जिम्‍मेदार है कार्बन डाईऑक्‍साइड

429)                कार्बन डाईऑक्‍साइड गैस ग्‍लाबल वार्मिंग के लिए सबसे ज्‍यादा जिम्‍मेदार है, क्‍योंकि वायुमंडल में इसकी सांद्रता अन्‍य ग्रीन हाउस गैसों की तुलनामें है बहुत अधिक

430)                भूमंडलीय उष्‍णता (Global warming) के परिणामस्‍वरूप  हिमनदी द्रवीभूत होने लगी, समय से पूर्व आम में बौर आने लगा तथा स्‍वास्‍थ्‍य पर कुप्रभाव पड़ा।

431)                वैश्विक ताप के असर को इंगित करते हैं हिमानी का पिघलना, सागरीय तल में उत्‍थान, मौसमी दशाओं में परिवर्तन तथा ग्‍लोबीय तापमान में वृद्धि

432)                भूमंडलीय ऊष्‍मन की आशंका वायुमंडल में जिसकी बढ़ती हुई सांद्रता के कारण बढ़ रही है कार्बन डाइऑक्‍साइड की

433)                एक सर्वाधिक भंगुर पारिस्थितिक तंत्र है, जो वैश्विक तापन द्वारा सबसे पहले प्रभावित होगा आर्कटिक एवं ग्रीनलैंड हिमचादर

434)                वायु में कार्बन डाइऑक्‍साइड की बढ़ती हुई मात्रा से वायुमंडल का तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है, क्‍योंकि कार्बन डाइऑक्‍साईड सौर विकिरण के अवरक्‍त अंश को अवशोषित करती है

435)                प्रमुख ग्रीनहाउस गैस मेथेन के स्रोत हैं धान के खेत, कोयले की खान, पालतू पशु, आर्द्रभूमि

436)                मेथेन उत्‍सर्जन के प्राकृतिक स्रोत हैं आर्द्रभूमि, समुद्र, हाइड्रेट्स (Hydrates)

437)                मानव की क्रिया जो जलवायु से सर्वाधिक प्रभावित होती है कृषि

438)                जुगाली करने वाले पशुओं से जिस ग्रीन हाउस गैस का निस्‍सरण होता है, वह है मैथेन

439)                मेर्थन(CH4) गैसे को कहते हैं मार्श गैस (Marsh Gas)

440)                यह एक आंदोलन है, जिसमे ंप्रतिभागी प्रतिवर्ष एक निश्चित दिन, एक घंटे लिए बिजली बंद कर देते हैं तथा यह जलवायु परिवर्तन और पृथ्‍वी को बचाने की आवश्‍कता के बारे में जागरूकता लाने वाला आंदोलन है पृथ्‍वी काल

441)                जलवायु परिवर्तन और पृथ्‍वी को बचाने की आवश्‍यकता के बारे में जागरूकता लाने हेतु वर्ल्‍ड वाइड फंड फॉर नेचर’ (WWF: World wide Fund for Nature) द्वारा आयोजित कियाजाने वाला एक विश्‍वव्‍यापी आंदोलन है पृथ्‍वी काल (Earth Hour)

442)                50 से अधिक देशों द्वारा समर्थित संयुक्‍त राष्‍ट्र का मौसम परिवर्तन समझौता प्रभावी हुआ मार्च 21, 1994 को

443)                यह सरकारएवं व्‍यवसाय को नेतृत्‍व देने वाले व्‍यक्तियों के लिए ग्रीन हाउस गैस उत्‍सर्जन को समझने, परिमाण निर्धारित करने एवं प्रबंधन हेतु एक अंतरराष्‍ट्रीय लेखाकरण साधन है ग्रीन हाउस गैस प्रोटोकॉल (Greenhouse Gas Protocol)

444)                वर्ल्‍उ रिसोर्स इंस्‍टीट्यूट’ (WRI) तथा वर्ल्‍ड बिजनेस काउंसिल ऑन सस्‍टेनेबलडेवलपमेंट’ (WBCSD) द्वारा किया गया है ग्रीन हाउस गैस प्रोटोकॉल का विकास

445)                क्‍योटो प्रोटोकॉल प्रभावीहुआ वर्ष 2005 से

446)                जापान के क्‍योटो शहर में हुए UNCCC के तीसरे सम्‍मेलन में क्‍योटो प्रोटोकॉल को स्‍वीकार किया गया 11 दिसंबर, 1997 को

447)                क्‍योटो प्रोटोकॉल समझौते के अनुसार, अधिक ग्रीन हाउस गैसों का उत्‍सर्जन करने वाले देशों के लिए उत्‍सर्जनमें वर्ष 2008 से 2012 तक कटौती करने का प्रावधान किया गया था 2% की

448)                वर्ष 2015 में पेरिस में UNFCCC की बैठक मे ंविकसित देशों ने वैश्विक तापन में अपनी जिम्‍मेदारी स्‍वीकार की तथा साथ-ही-साथ कई देशों की सहायता से वर्ष 2020 में जलवायु निधि जमा करने की प्रतिबद्धता जताई 100 अरब डॉलर

449)                विश्‍व के तापमानों पर आंकड़े इकट्ठा करने के लिए वैश्विक वायुमंडल चौकसी स्‍टेशन स्‍थापित किया गया है अल्‍जीरिया, ब्राजील तथा केन्‍या में

450)                सी.डी.एम. के लिए सत्‍य नहीं है यह विकसित देशों को विकासशील देशों की परियोजनाओं में पूंजी लगाने का निषेध करता है।

451)                सी.डी.एम. (C.D.M. Clean Development Mechanism) ग्‍लोबल वार्मिंग में कमी के लिए हरित गृह गैस उत्‍सर्जन को नियंत्रित करने की प्रणाली है, जो सामने आई थी क्‍योटो प्रोटोकॉल के तहत

452)                CO2 उत्‍सर्जन एवं भूमंडलीय तापन के संदर्भ में UNFCCC के अंतर्गत उस बाज़ार संचालित युक्ति का नाम जो विकासशील देशों को विकसित देशों से निधियां/प्रोत्‍साहन उपलब्‍ध कराती हैं, ताकि वे अच्‍छी प्रौद्यिोगिकियां अपनाकर ग्रीन हाउस गैस उत्‍सर्जन कम कर सकें स्‍वच्‍छ विकास युक्ति

453)                कार्बन जमाओं (कार्बन क्रेडिट्स) के बारे मे स्‍वच्‍छ विकास युक्ति (CDM) है क्‍योटो नवाचार युक्तिओं में से एक

454)                एनेक्‍स-1 के विकसित देश गैर-एनेक्‍स-1 देखों में स्‍वच्‍छ विकास युक्ति परियोजनाएं कार्यान्वितकर प्राप्‍त कर सकते हैं कार्बन क्रेडिट

455)                CDM के अंतर्गत कार्यान्वित होने वाली एनेक्‍स-1 के देशों द्वारा कार्यान्वित की जाती है परन्‍तु इन परियोजनाएं को गैर-एनेक्‍स-1 विकासशील देशों में किया जाता है क्रियान्वित

456)                UNFCCC के क्‍योटो प्रो‍टोकॉल की धारा 12 के अंतर्गत वर्णित है स्‍वच्‍छ विकास युक्ति (C.D.M. Clean Development Mechanism)

457)                1 टन कार्बन डाइऑक्‍साइड की मात्रा को घटाने से प्राप्‍त होती है एक CER यूनिट

458)                जैव-विविधता अभिसमय (Convention on Biological Diversity – CBD) का पूरक प्रोटोकॉल, जो जैव प्रौद्योगिकी द्वारा उत्‍पन्‍न जीवित संशोधित जीवों (Live Modified Organisms-LMO) द्वारा उत्‍पन्‍न संभावित खतरों से जैव-विविधता की रक्षा करने हेतु प्रतिबद्ध है कार्टाजेना प्रोटोकॉल

459)                आनुवंशिक संसाधनों (Genetic Resources) को प्राप्‍त करने एवं उनसे मिले लाभों के समुचित व निष्‍पक्ष बंटवारे से संबंधित है नगोया प्रोटोकॉल

460)                प्रथम विश्‍व जलवायु सम्‍मेलन 1979

461)                प्रथम पृथ्‍वी शिखर सम्‍मेलन एजेंडा-21

462)                पृथ्‍वी शिखर सम्‍मेलन प्‍लस-51997

463)                क्‍योटो प्रोटोकॉल के तहत पर्यावरण में कार्बन उत्‍सर्जनों को कम करने के लिए लागू की गई थी कार्बन क्रेडिट प्रणाली

464)                अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में कार्बन क्रेडिट का क्रय-विक्रय किया जाता है उनके वर्तमान बाजार मूल्‍य के अनुसार

465)                कार्बन क्रेडिटका दृष्टिकोण शुरू हुआ क्‍योटो प्रोटोकॉल से

466)                बायोकार्बन फंड इनिशिएटिव फॉर सस्‍टेनेबल फॉरेस्‍ट लैंडस्‍केप्‍स’ (Biocarbon Fund Initiative for Sustainable Forest Landscapes) का प्रबंधन करता है विश्‍व बैंक

467)                बायोकार्बन फंड इनिशिएटिव फॉर सस्‍टेनेबल फॉरेस्‍ट लैंडस्‍केप्‍सएक बहुपक्ष्‍ीय कोष है, यह कोष स्‍थलीय क्षेत्र (Land Sector) से कमी करने को बढ़ावा देता है ग्रीनहाउस गैस उत्‍सर्जनों में

468)                यह सरकारों, व्‍यवसायों, नागरिक समाज और देशी जनों (इंडिजिनस पीपल्‍स) की एक वैश्विक भागीदारी है, यह देशों की, उनके वनोन्‍मूलन और वन निम्‍नीकरण उत्‍सर्जन कर करने (रिड्यूसिंग एमिसन्‍स फ्रॉम डीफॉरेस्‍टेशन एंड फॉरेस्‍ट डिग्रेडेशन+) (REDD+) प्रयासों में वित्‍तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान कर मदद करती है वन कार्बन भागीदारी सुविधा (फॉरेस्‍ट कार्बन पार्टनरशिप फेसिलिटी)

469)                वन कार्बन भागीदारी सुविधा विश्‍व बैंक का एक कार्यक्रम है, जो प्रारंभ हुआ था जून, 2008 में

470)                वैज्ञानिक दृष्टिकोण यह है कि विश्‍व तापमान पूर्व-औद्योगिक स्‍तर पर 20C से अधिक नहीं बढ़ना चाहिए। यदि विश्‍व तापमान पूर्व-औद्योगिक स्‍तर से 30C के परे बढ़ जाताहै, तो विश्‍व पर उसका संभावित असर होगा स्‍थलीय जीवमंडल एक नेट कार्बन स्रोत्र की ओर प्रवृत्‍त होगा तथा विस्‍तृत प्रवाल मर्त्‍यता घटित होगी

471)                आईपीसीसी’ (Intergovernmental Panel on Climate Change) द्वारा प्रकाशित “Assessing Key Vulnerablilities and the risk from Climate Change” नामक रिपोर्ट के अनुसार, यदि विश्‍व तापमान पूर्व-औद्योगिक स्‍तर से 20C बढ़ जाता, तो पृथ्‍वी के पारिस्थितिकी तंत्र का रूपां‍तरित हो जाएगा 1/6 भाग

472)                यदि विश्‍व का तापमान पूर्व-औद्योगिक स्‍तर से 30C से अधिक बढ़ जाता है तो स्‍थलीय जीवमंडल एक नेट कार्बन स्रोत्र की ओर प्रवृत्त होगा, साथ ही विलुप्‍त होने की कगार पर पहुंच जाएगी 30% तक ज्ञात प्रजातियां

473)                पिछली शताब्‍दी में पृथ्‍वी के औसत तापमान में वृद्धि देखी गई है 80C की

474)                हाल के वर्षों में मानव गतिविधियों के कारण वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्‍साइड की सांद्रता में बढ़ोतरी हुई है, किंतु उसमें से बहुत-सी वायुमंडल के निचले भाग में नहीं रहती, क्‍योंकि समुद्रों में पादप प्‍लवक प्रकाश संश्‍लेशनकर लेते हैं    

475)                यदि किसी महासागर का पादप प्‍लवक किसी कारण से पूर्णतया नष्‍ट हो जाए, तो इसका प्रभाव होगा कार्बन सिंक के रूप में महासागर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा एवं महासागर की खाद्य श्रृंखला पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

476)                जलवायु परिवर्तन के खगोलीय सिद्धांतों से संबंधित है पृथ्‍वी की कक्षा की उत्‍केंद्रता (अंडाकार कक्षीय मार्ग), पृथ्‍वी की घूर्णन अक्ष की तिर्यकता (झुकाव), विषुवअयन (पृथ्‍वी की सूर्य से अपसौर या उपसौर की स्थिति)

477)                जलवायु परिवर्तन से संबंधित सिद्धांत दिए जो कि पृथ्‍वी की लंबी अवि‍ध्‍ा के कक्ष्‍ीय स्थिति से संबंधित है मिलुटिन मिलान्‍को‍विच (Milutin Milankovitch) ने

478)                पृथ्‍वी का धुरी पर अवस्‍था बदलना जलवायु परिवर्तन के लिए एक कारण है, यह कथन है मिलुटिन मिलान्‍को‍विच

479)                जलवायु परिवर्तन का क्रायोजेनिक संकेतक प्राप्‍त किया जाता है आइस कोर से

480)                किसी ग्‍लेशियर या बर्फ की चादर को छेदकर प्राप्‍त किया गया, एक बेलनाकार नमूना है हिम तत्‍व (Ice Core)

481)                भारत की जलवायु परिवर्तन पर प्रथम राष्‍ट्रीय क्रिया योजना प्रकाशित हुई 2008 ई.में

482)                भारत सरकार की जलवायु कार्य योजना (क्‍लाइमेट एक्‍शन प्‍लान) के आठ मिशन में सम्मिलित नहीं है आण्विक ऊर्जा

483)                ग्‍लोबीय तापवृद्धि का सबसे महत्‍वपूर्ण परिणाम यह है कि इससे ध्रुवीय बर्फ की टोपियों के पिघलने के बाद वृद्धि होगी  समुद्र की सतह में

484)                ग्‍लोबीय तावृद्धि से विश्‍व के समस्‍त द्वीप डूब जाएंगे मूंगे के

485)                यह सम्‍भावना है कि 2044 ई. तक फिजी डूब जाएगा और समुद्र तल के बढ़ने से इसी वर्ष तक एक गंभीर संकट छा जाएगा नीदरलैंड्स पर

486)                IPCC के अनुसार, वर्ष 1900-2100 के बीच समुद्र सतह में वृद्धि का अनुमान है 33 से 0.45 मीटर वृद्धि का

487)                मैनचेस्‍टर विश्‍वविद्यालय के वैज्ञानिकोंने हाल में भू-अभियंत्रण द्वारा पैसिफिक महासागर के ऊपर चमकीले बादलउत्‍पन्‍न कर ग्‍लोबल वॉर्मिंग के बढ़ने पर रोक लगाने का सुझाव दिया है। इसकी पूर्तिके लिए वातावरण में छिड़का जाता है समुद्री जल

488)                वैश्विक जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में जो पद्धतियां मृदा में कार्बन प्रच्‍छादन/संग्रहण में सहायक है समोच्‍च बांध, अनुपद सस्‍यन एवं शून्‍य जुताई

489)                युनाइटेड नेशन्‍स फ्रेमवर्क कन्‍वेन्‍शन ऑन क्‍लाइमेट चेंज (UNFCCC) एक अंतरराष्‍ट्रीय संधि है, जिसकागठन हुआ था रियो डि जनेरियोमें 1992 में संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ के पर्यावरण और विकास सम्‍मेलन (यू एन कॉन्‍फेरेंस ऑन एन्‍वायरनमेंट ऍण्‍ड डेवलपमेंट) में

490)                अभीष्‍ट राष्‍ट्रीय निर्धारित अंशदान (Intended Nationally Determined Contributions) पद को कभी-कभी समाचारों में जिस संदर्भ में देखा जाता है, वह है जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए विश्‍व के देशों द्वारा बनाई गई कार्ययोजना

491)                भारत की कार्ययोजना के तहत वृक्ष लगाकर कार्बन सिंक को बढ़ावा देना, प्रदूषण उपशमन, स्‍वच्‍छ ऊर्जा विशेषकर नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना, ऊर्जा दक्षता को बढ़ाना इत्‍यादि शामिल हैं आईएनडीसीसी के लक्ष्‍यों में

492)                कानकुन सम्‍मेलन में प्रावधान किया गया एक हरित जलवायु कोष’ (GCF) का

493)                डरबन में आयोजित जलवायु परिवर्तन सभा में स्‍थापना हुई थी हरित जलवायु कोष (जी.सी.एफ.) की

494)                विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन का सामना करने हेतु अनुकूलन और न्‍यूनीकरण पद्धतियों में सहायता देने के आशय से बनी है हरित जलवायु निधि (ग्रीन क्‍लाइमेट फंड)

495)                विश्‍व का पहला देश जिसने भूमंडलीय तापनके प्रतिकरण के लिए कार्बन टैक्‍स लगाने का प्रस्‍ताव रखा न्‍यूजीलैंड

496)                बड़े पैमाने पर चावल की खेती के कारण कुछ क्षेत्र संभवतया वैश्विक तापन में योगदान दे रहे हैं। इसके लिए कारण जिनको उत्‍तरदायी ठहराया जा सकता है चावल की खेती से संबद्ध अवायवीय परिस्थितियां मेथेन के उत्‍सर्जन का कारक हैं, जब नाइट्रोजन आधारित उर्वरक प्रयुक्‍त किए जाते हैं, तब कृष्‍ट मृदा से नाइट्रस ऑक्‍साइड का उत्‍सर्जन होता है।

497)                एशिया-पैसिफिक संघ के सदस्‍यों के संबंध में सही है वे विश्‍व की 48% ऊर्जा का उपयोग करते हैं, वे विश्‍व की 48% हरित गृह गैसों के निस्‍सारण के लिए उत्‍तरदायीहैं, वे क्‍योटो प्रोटोकॉल को समर्थन देना चाहते हैं।

498)                ओजान परत मुख्‍यत- जहां अवस्थित रहती है, वह है स्‍ट्रेटोस्‍फीयर

499)                स्‍ट्रेटोस्‍फीयर (समतापमंडल) के निचले हिस्‍से में पृथ्‍वी से लगभग 10 से 50 किमी की ऊँचाई पर अवस्थित रहती है ओजोन परत

500)                ओजोन परत पृथ्‍वी से करीब ऊँचाई पर है 20 किलोमीटर

501)                क्‍लोरोफ्लोरोकार्बन के लिए सत्‍य नहीं है यह ग्रीन हाउसप्रभाव में योगदान नहीं देती है

502)                क्‍लोरीन, फ्लोरीन एवं कार्बन के मानव निर्मितयौगिक हैं – CFC

503)                ओजोन छिद्र के लिए उत्‍तरदायी है – CFC

504)                वायुमंडल में उपस्थित ओजोन द्वारा जो विकिन अवशोषित किया जाता है, वह है पराबैंगनी

505)                ऑक्‍सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनने वाली एक गैस है ओजोन (O3)

506)                ऊपरी वायुमंडल में ओजोन परत के रूप में पृथ्‍वी पर जीवन को बचाती है अल्‍ट्रावायलेट किरणों से

507)                ओजोन परत मानव के लिये उपयोगी है, क्‍योंकि वह सूर्य की अल्‍ट्रावायलेट किरणों को पृथ्‍वी पर नहीं आने देती

508)                वायुमंडल में उपस्थित ओजोन परत अवशोषित करती है अल्‍ट्रावायलेट किरणों को

509)                सूर्य से आने वाला हानिकारक पराबैंगनी विकिरण कारण हो सकता है त्‍वचीय कैंसर का

510)                अधिक समय तक सूर्य के पराबैंगनी विकिरण के शरीर पर पड़ने पर हो सकता है डीएनए में आनुवांशिक उत्‍परिवर्तन

511)                ओजोन परत संरक्षण दिवसमनाया जाता है 16 सितंबर को

3 comments:

  1. MPPSC Coaching In Indore that provides its students with attractive features and facilities, the Sharma Academy is the MPPSC Coaching in Indore. The Sharma Academy is a testament to great hard work and persistence, the institute with the help of its talented faculty team provides its students with top guidance and study material that helps them in understanding all topics with great ease, MPPSC Coaching In Indore the study material of the institute is easy to understand and is comprehensive. Focusing on providing students with short and concise information the institute encourages its students to self-study and is an easy-going institute, the focus of the faculty members is not only to complete the syllabus but also to ensure that each and every student is able to understand and grasp new knowledge properly, instead of rushing students to finish the syllabus the Sharma Academy with its serene approach focuses on providing students with a great flagship-level education and a learning experience that leaves them with more answers rather than doubts.MPPSC Coaching In Indore

    ReplyDelete
  2. Indore is hub for MPPSC Classes Best MPPSC Coaching In Indore List Provide MPPSC Coaching In Indore

    ReplyDelete
  3. Sharma Academy is the First-Best MPPSC Coaching in Indore. This coaching institute is famous for the preparation of MPPSC and IAS Exam preparation. This coaching institute has given a remarkable presentation in preparing the candidates for the MPPSC examination, Best MPPSC Coaching In IndoreThis coaching institute has a lot of branches in India and in every branch, this coaching institute is preparing the candidates for the UPSC and IAS examination under the guidance of expert faculty members. This coaching institute offers the best quality courses to the candidates along with the course material. The mock test series provided by this coaching institute is updated, MPPSC Coaching In Indore If you practice mock test series provided by this coaching institute then you will definitely see a clear improvement within you provided by this coaching institute are affordable and effective. This coaching institute allows all the candidates to travel a distance with a lot of benefits. This coaching institute is one of the best coaching institutes in Indore for the preparation of the MPPSC examination, Best MPPSC Coaching In Indore.

    ReplyDelete

Recent Posts