परीक्षा की प्रकृति:
- आयोग
द्वारा आयोजित इस प्रतियोगी परीक्षा में सामान्यतः: क्रमवार तीन स्तर
सम्मिलित हैं-
1 : प्रारंभिक परीक्षा – वस्तुनिष्ठ प्रकृति
2 : मुख्य परीक्षा - वर्णनात्मक प्रकृति
3 : साक्षात्कार - मौखिक
- वर्ष 2024 में आयोग द्वारा MPPSC की प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा की प्रकृति एवं पाठ्यक्रम में महत्त्वपूर्ण बदलाव किया गया।
- परीक्षा
की प्रक्रिया:
प्रारंभिक परीक्षा की प्रक्रिया:
- सर्वप्रथम
आयोग द्वारा इन परीक्षाओं से संबंधित विज्ञप्ति जारी की जाती है उसके पश्चात
ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू होती है। फॉर्म भरने की प्रक्रिया
संबंधी विस्तृत जानकारी ‘विज्ञप्ति’ के अंतर्गत ‘ऑनलाइन आवेदन कैसे करें?’
शीर्षक में दी गयी होती है।
- विज्ञप्ति
में उक्त परीक्षा से संबंधित विभिन्न पहलुओं का विस्तृत विवरण दिया गया होता
है। अत: फॉर्म भरने से पहले इसका अध्ययन करना लाभदायक रहता है।
- फॉर्म
भरने की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद सामान्यतः 1
से 2 माह पश्चात् प्रारंभिक परीक्षा
आयोजित की जाती है।
- यह
प्रारंभिक परीक्षा एक ही दिन आयोग द्वारा निर्धारित राज्य के विभिन्न
केन्द्रों पर सम्पन्न होती है।
- आयोग
द्वारा आयोजित इस प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय)
होती है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक प्रश्न के
लिये दिये गए चार संभावित विकल्पों (a, b, c और d)
में से एक सही विकल्प का चयन करना होता है।
- प्रश्न
से संबंधित इस चयनित विकल्प को आयोग द्वारा दिये गए ओ.एम.आर. शीट में उसके
सम्मुख दिये गए सम्बंधित गोले (सर्किल) में उचित स्थान पर केवल काले बॉल पॉइंट पेन से भरना होता है।
- MPPSC द्वारा आयोजित इस परीक्षा में गलत उत्तर के लिये किसी भी प्रकार की नेगेटिव मार्किंग का प्रावधान नहीं है।
- यदि
किसी प्रश्न का अभ्यर्थी एक से अधिक उत्तर देता हैं,
तो उस उत्तर को गलत माना जाएगा।
- प्रश्नपत्र
दो भाषाओं (हिंदी एवं अंग्रेजी) में दिये गए होते हैं,
अभ्यर्थी इन दोनों में से किसी भी भाषा में अपनी सहजता के आधार
पर प्रश्नों का उत्तर दे सकते हैं।
- आयोग
द्वारा वर्ष 2012 में इस प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति में बदलाव किया गया जिसके
अनुसार, द्वितीय प्रश्नपत्र में पूछे जाने वाले
वैकल्पिक विषय (वस्तुनिष्ठ) के स्थान पर ‘सामान्य अभिरुचि परीक्षण’ (जनरल
एप्टिट्यूड टेस्ट) के प्रश्नपत्र को अपनाया गया।
- वर्तमान
में आयोग की इस प्रारंभिक परीक्षा में दो अनिवार्य प्रश्नपत्र (क्रमशः
‘सामान्य अध्ययन’ एवं ‘सामान्य अभिरुचि परीक्षण’) पूछे जाते हैं,
जिसकी परीक्षा एक ही दिन दो विभिन्न पालियों में दो-दो घंटे की
समयावधि में सम्पन्न होती है। ‘सामान्य अभिरुचि परीक्षण’ के प्रश्नपत्र
को ‘सीसैट’ (सिविल सर्विस एप्टिट्यूड टेस्ट) के नाम से भी से जाना जाता है।
- प्रथम
प्रश्नपत्र ‘सामान्य
अध्ययन’ का है,
जिसमें प्रश्नों की कुल संख्या 100 एवं
अधिकतम अंक 200 निर्धारित हैं।
- द्वितीय
प्रश्नपत्र ‘सामान्य अभिरुचि परीक्षण’ का है, जिसमें प्रश्नों की कुल संख्या 100
एवं अधिकतम अंक 200 निर्धारित हैं।
- वर्ष
2017
से ‘मध्य प्रदेश राज्य सेवा परीक्षा’ एवं ‘मध्य प्रदेश
राज्य वन सेवा परीक्षा’ के लिये एक ही (कॉमन) प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की
जाएगी जबकि मुख्य परीक्षा पूर्व की भाँति अलग-अलग आयोजित होगी।
- ‘मध्य प्रदेश राज्य सेवा परीक्षा’ के लिये यह प्रारंभिक परीक्षा 200 अंकों की होती है क्योंकि इसमें ‘सामान्य अभिरुचि परीक्षण’ के प्रश्नपत्र
में प्राप्त अंकों को कट-ऑफ निर्धारण में नहीं जोड़ा जाता है, जबकि ‘मध्य प्रदेश राज्य वन सेवा परीक्षा’ के लिये यह परीक्षा कुल 400 अंकों की होती है क्योंकि इसमें ‘सामान्य अभिरुचि परीक्षण’ के प्रश्नपत्र
में प्राप्त अंकों को कट-ऑफ निर्धारण में जोड़ा जाता है।
- वर्ष
2015 से
आयोग ने ‘मध्य प्रदेश राज्य सेवा परीक्षा’ के इस चरण में ‘सामान्य अभिरुचि परीक्षण’ के प्रश्नपत्र को केवल
क्वालिफाइंग कर दिया है। अर्थात इस प्रश्नपत्र में आयोग द्वारा निर्धारित
क्वालिफाइंग अंक प्राप्त करने वाले तथा सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र में
निर्धारित कट-ऑफ स्तर को प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी ही मुख्य परीक्षा के
लिये सफल घोषित किये जाएँगे।
- प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिये सामान्यत: 75–80% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, किन्तु
कभी-कभी प्रश्नों के कठिनाई स्तर को देखते हुए यह प्रतिशत कम भी हो सकता है।
- प्रारंभिक
परीक्षा की प्रकृति क्वालिफाइंग होती है। इसमें प्राप्त अंकों को मुख्य
परीक्षा या साक्षात्कार के अंकों के साथ नहीं जोड़ा जाता है।
·
मुख्य परीक्षा की प्रक्रिया:
·
राज्य सेवा मुख्य परीक्षा में
निम्नानुसार कुल 06 वर्णनात्मक प्रश्नपत्र होंगे। सभी प्रश्न पत्र
अनिवार्य हैं:-
·
साक्षात्कार :- 185 अंक
कुल अंक :- 1685 अंक
·
1. सामान्य अध्ययन -
प्रथम प्रश्नपत्र, द्वितीय प्रश्न पत्र एवं तृतीय प्रश्नपत्र के दोनों
खंडों 'अ' तथा 'ब'
में अभ्यर्थियों द्वारा केवल हिन्दी अथवा अंग्रेजी भाषा में उत्तर
लिखे जा सकेंगे। उपर्युक्त तीनों प्रश्न पत्रों के प्रत्येक खंड 'अ' तथा खंड 'ब' में पूर्णांकों का वर्गीकरण निम्नानुसार होगा -
2. चतुर्थ प्रश्न पत्र के दोनों खंडों 'अ' तथा 'ब' में केवल हिन्दी अथवा अंग्रेजी भाषा में उत्तर लिखे जा सकेंगे। प्रश्न पत्र के प्रत्येक खंड 'अ' तथा खंड - 'ब' में पूर्णांकों का वर्गीकरण निम्नानुसार होगा -
3. पंचम प्रश्न पत्र सामान्य हिन्दी तथा
व्याकरण केवल हिन्दी माध्यम में होगा। पूर्णांक 200 अंकों का
होगा। प्रश्नों के अंकों का विवरण पाठ्यक्रम में उल्लिखित है। प्रश्नपत्र का समय 2
घंटे होगा ।
4. छठा प्रश्न पत्र ( हिन्दी निबंध एवं
प्रारूप लेखन) केवल हिन्दी माध्यम में ही होगा। प्रश्नों का विवरण निम्नानुसार
होगा :
आवश्यकतानुसार किसी प्रश्न में उप प्रश्न भी
हो सकते हैं। प्रश्नोत्तर पुस्तिका में उत्तर दिए जाने हेतु स्थान अधिक होने की
स्थिति में परीक्षार्थी प्रश्न के स्वरूप अनुसार शब्द सीमा का पालन करें।
नोट:
- राज्य
सेवा मुख्य परीक्षा के प्रत्येक प्रश्न पत्र में (खंड 'अ' तथा 'ब' दोनों को मिलाकर) अनारक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को न्यूनतम
अर्हकारी 40 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य है। इसी
प्रकार अनारक्षित महिला श्रेणी के अभ्यर्थियों को भी न्यूनतम अर्हकारी 40
प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य है।
- उपर्युक्त
के अतिरिक्त अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति,
अन्य पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर
वर्ग तथा दिव्यांगजन श्रेणी के अभ्यर्थियों को न्यूनतम अर्हकारी अंक 30
प्रतिशत अनिवार्यतः प्राप्त करने होंगे।
- राज्य
सेवा मुख्य परीक्षा से साक्षात्कार हेतु विज्ञापित पदों का श्रेणीवार,
प्रवर्गवार 03 गुना तथा समान अंक प्राप्त
अभ्यर्थियों को शामिल किया जाएगा।
- परीक्षा
के इस चरण में सफलता प्राप्त करने के लिये सामान्यत: 60-65%
अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। हालाँकि पाठ्यक्रम में
बदलाव के कारण यह प्रतिशत कुछ कम या ज़्यादा भी हो सकता है।
- पूर्व
की भाँति ही इन प्रश्नपत्रों में प्राप्त किये गए अंक मेधा सूची में जोड़े जाएँगे।
- परीक्षा
के सभी विषयों में कम से कम शब्दों में की गई संगठित,
सूक्ष्म और सशक्त अभिव्यक्ति को श्रेय मिलेगा।
साक्षात्कार की प्रक्रिया:
- मुख्य
परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों को सामान्यत: एक माह पश्चात् आयोग के समक्ष
साक्षात्कार के लिये उपस्थित होना होता है।
- साक्षात्कार
के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है। इसमें आयोग के
सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं,
जिसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है। यह
प्रक्रिया अभ्यर्थियों की संख्या के अनुसार एक से अधिक दिनों तक चलती है।
- वर्ष
2024 में
एम.पी.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में साक्षात्कार के लिये कुल 185
अंक निर्धारित किया गया (पूर्व
में यह 175 अंकों का होता था)।
- मुख्य
परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर अंतिम
रूप से मेधा सूची (मेरिट लिस्ट) तैयार की जाती है।
- सम्पूर्ण
साक्षात्कार समाप्त होने के सामान्यत: एक सप्ताह पश्चात अन्तिम रूप से चयनित
अभ्यर्थियों की सूची जारी की जाती है।
उपरोक्त वर्णित प्रत्येक प्रश्नपत्र में 40 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य है। अनुसूचित जाति / जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग तथा नि:शक्त श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम अर्हकारी अंक 30 प्रतिशत होगे।
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